जुबिली न्यूज डेस्क
देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई राज्य तो कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू लगा दिए हैं तो कई तालाबंदी की सोच रहे हैं। इस सब के बीच में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुंभ मेले का आयोजन करने का फैसला किया है।
कोरोना के चलते देश-दुनिया में कितने बड़े-बड़े इंवेट कैंसल हो गए, लेकिन उत्तराखंड के सीएम को इसी महामारी के बीच में कुंभ मेला आयोजित करने की पड़ी है।
रविवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि कुंभ मेला 2021 अपने “दिव्य रूप” में हरिद्वार में आयोजित किया जाएगा। यात्रियों की भीड़ और कोरोना महामारी को देखते हुए मेला का सफलतापूर्वक आयोजन बहुत बड़ी चुनौती है।
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सीएम रावत ने कहा कि महामारी की चुनौतियों के बीच उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक समस्याओं के बावजूद हमने आने वाले साल में कुंभ मेला आयोजन करने का फैसला किया है।
सीएम रावत के इस फैसले पर सवाल उठ रहा है। एक ओर विशेषज्ञ कोरोना की दूसरी लहर को सुनामी बता रहे हैं और हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है।
मालूम हो हरिद्वार के कुंभ मेले में सिर्फ उत्तराखंड के ही लोग नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार समेतज अन्य राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं।
सीएम रावत ने 14 जनवरी से शुरू होने वाले 2021 कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ बैठक की।
सीएम ने कहा “कुंभ मेले को कोरोना महामारी की स्थिति के हिसाब से बढ़ाया जाएगा। कोरोना की मौजूदा स्थिति के अनुसार कुंभ के फैसलों में एबीएपी और धार्मिक बिरादरी के सुझावों को भी लिया जाएगा। राज्य सरकार के प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि भक्तों को असुविधा का सामना न करना पड़े।”
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कुंभ मेले के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है। इस पर जोर देते हुए रावत ने कहा “विभागीय सचिवों को कुंभ के काम को मॉनिटर करने को कहा गया है। वहीं मुख्य सचिव को 15 दिनों में स्थिति की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया गया है।”
कुंभ को लेकर मुख्यमंत्री रावत ने एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा है, “भारतीय संस्कृति और सभ्यता के आदिकाल से ही गंगा न केवल भारत की सर्वाधिक महान एवं पवित्र नदी के रूप में लक्षित है अपितु ‘माँ’ के रूप में भी पूजित है। हमारी सरकार के लिए भी करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक ‘माँ गंगा’ सर्वोपरि है और उसकी निर्मलता बनाए रखने के लिए हम सदैव तत्पर हैं।”
हरिद्वार में कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। इससे पहले 2010 में आयोजित होने वाले कुंभ मेला में 1.62 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई थी। ये पहली बार है जब मेला 11 साल बाद ही होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि 80 साल में दुर्लभ संयोग बन रहा है। भव्य मेला का समापन अप्रैल के अंत में खत्म होगा।
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