यशोदा श्रीवास्तव
गौतम बुद्ध चूंकि ऐसा नाम नहीं है जिसके बदौलत वोटों का जखीरा तैयार हो इसलिए भारत में इस नाम को केवल बुद्ध अनुयायी वाले देशों के लिए सुरक्षित रखा गया है। यह आलोचना नहीं है, सिर्फ एक सोच की ओर इशारा मात्र है कि हम बुद्ध की धरती से केवल बुद्ध के करुणा,प्रेम,ज्ञान, अहिंसा,त्याग पर लंबी लंबी बात करते हैं लेकिन हम इसका अनुसरण नहीं करते। बुद्ध को लेकर हमारी धारणा का पर्दाफाश ही है कि भारत में बुद्ध ने जीवन के 29 साल बिताए,भारत के जंगल में बुद्ध भगवान हुए और भारत की धरती पर ही बुद्ध का महाप्रयाण हुआ लेकिन हम बुद्ध के नहीं हुए। हम बुद्ध की धरती पर बुद्ध के बारे में जब बोलते हैं तब बड़े गर्व से कहते हैं दुनिया की एक तिहाई आबादी बुद्ध की अनुयायी है तब हम अपने कथ्य पर संकोच नहीं करते कि आखिर हम उस एक तिहाई देश का हिस्सा क्यों नहीं बन पाए?
प्रधानमंत्री मोदी जी पांच दिन के भीतर पूर्वांचल के बुद्ध से जुड़े दूसरे जिले में आ रहे हैं। 20 अक्टूबर को वे बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर आए थे और आज (25 अक्टूबर को) सिद्धार्थ नगर आ रहे हैं। इस जिले की पहचान भी बुद्ध से ही है। जिले के उत्तर ओर बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु है जहां बुद्ध ने अपने जीवन के 29 साल बिताए थे।देखा जाय तो कपिलवस्तु ही बुद्ध की जन्मस्थली है। हालांकि उनका जन्म कपिलवस्तु से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर नेपाल के लुंबिनी में है जिसे जापान की एक संस्था ने लंबे रिसर्च के बात भारत में होना बताया है। जाहिर है पीएम बुद्ध से जुड़े दूसरे स्थल पर आकर बुद्ध के बखान में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
लेकिन क्या कुशीनगर हो या सिद्धार्थ नगर दोनों जिलों में पीएम के हाथों हो रहे लोकार्पण वाले किसी एक संस्थान का नाम बुद्ध के नाम नहीं होना चाहिए था? कुशीनगर के एयरपोर्ट का नाम कुशीनगर के नाम से है और सिद्धार्थ नगर के मेडिकल कॉलेज का नाम भाजपा के पहले प्रदेश अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम से है। स्व.त्रिपाठी 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। वे जनसंघ घटकदल के सदस्य थे और जब 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई तो वे इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे।इस लिहाज से स्व.त्रिपाठी के नाम से मेडिकल कॉलेज का नाम दुरुस्त है। पीएम सिद्धार्थ नगर से ही यूपी के सात मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण करेंगे जो स्व.त्रिपाठी की तरह विभिन्न जाति वाले नामचीन हस्तियों के नाम पर है और इसका राजनीतिक रूप से बड़ा महत्व है। प्रतापगढ़ के मेडिकल कॉलेज का नाम सर्व.सोने लाल पटेल के नाम से है। सोने लाल पटेल पिछड़ों के बड़े नेता थे। इनके बेटी दामाद भाजपा के सहयोगी दल के रूप में सत्ता के शीर्ष ओहदे पर हैं।
सवाल यह है कि जब हम बुद्ध की धरती से बुद्ध का महिमा मंडन करते हैं तो हममें बुद्ध के नाम पर भी कुछ समर्पण भाव होना चाहिए। कुशीनगर जहां बुद्ध का परिनिर्वाण स्थल है, वहां बने अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बुद्ध के नाम होना चाहिए था और सिद्धार्थ नगर में बने मेडिकल कॉलेज का नाम भी बुद्ध से जुड़े उनके केई उपनामों में से किसी एक नाम पर होना चाहिए। दोनों नहीं हो सकता था तो दोनों में से किसी एक जगह का संस्थान बुद्ध के नाम जरूर होना चाहिए था। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि विधानसभा के चुनावी वर्ष में बुद्ध की माला जपकर आखिर क्या हासिल हो पाता?
सिद्धार्थनगर में बुद्ध के नाम से मेडिकल कॉलेज का सपना जिले के शिक्षाविद और सिद्धार्थ नगर जिला सृजन के नायक स्व. पं.रामशंकर मिश्र का था। बुद्ध के पिता शुद्धोधन की राजधानी कपिलवस्तु के प्रमाणित होने के बाद उनका सपना बस्ती जिले से अलग सिद्धार्थ नगर जिले के नेपाल सीमा तक की धरती को बुद्ध मय कर देने की थी। इसी सोच के तहत ही उन्होंने जिला मुख्यालय सहित नेपाल सीमा तक बुद्ध के नाम से कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। बुद्ध के नाम से चिल्ड्रेन यूनिवर्सिटी की स्थापना तक उनकी सोच का हिस्सा था। बुद्ध के नाम से ही इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कालेज की स्थापना उनका सपना था। यही नहीं बुद्ध के प्रति उनके समर्पण भाव की हद यहां तक थी कि बुद्ध से जुड़े यूपी के करीब दो दर्जन जिलों को अलगकर शाक्य प्रदेश के नाम से अलग प्रदेश तक की थी।
पंडित रामशंकर मिश्र जिले को बुद्ध मय बनाने के लिए एक आंदोलन सा छेड़ दिए थे जिसका नतीजा यह था कि बुद्ध से जुड़े तमाम ऐतिहासिक स्मारकों की स्थापना के लिए सरकार को कपिलवस्तु के निकट सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहित कर,1980 की केंद्र सरकार को कपिलवस्तु महायोजना के नाम पर भारी-भरकम फंड रीलीज करना पड़ा। वक्त वक्त पर सूबे की सरकारों ने भी यहां विभिन्न भवनों और प्रेक्षागृह का निर्माण भी कराया लेकिन सूबे की सरकारों ने यहां के विकास की जैसी घोषणा की वैसा कुछ हुआ नहीं। मायावती शासन में यहां भी हवाईअड्डे की घोषणा हुई थी जो घोषणा से आगे ही नहीं बढ़ सका। सपा शासन में एक बड़ा काम यहां सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना का हुआ जिस पर भी सियासी ग्रहण लगता रहता है। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि इस स्थल के विकास की सोचने के बजाय, विश्वविद्यालय की स्थापना पर ही सवाल खड़ा करते रहते हैं। सिद्धार्थ नगर जिला मुख्यालय से कपिलवस्तु सिद्धार्थ विश्वविद्यालय तक सड़क का निर्माण न करा पाना इस स्थल के विकास के प्रति उनकी नकारात्मक सोच ही दर्शाता है।
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अब जिले के लोगों को पीएम से ही उम्मीद है। एक दो नहीं सैकड़ों लोगों ने इस संवाददाता से बातचीत के दौरान साफ कहा कि कोई बात नहीं, कुशीनगर हवाई अड्डा बुद्ध के नाम नहीं हुआ, सिद्धार्थ नगर मेडीकल कालेज बुद्ध के नाम नहीं हुआ, फिर भी जिले में बहुत कुछ है जो बुद्ध के नाम किया जा सकता है। सिद्धार्थ नगर देश के अति पिछड़ा जिला के रूप में चिह्नित है जिसका मानिटरिंग स्वयं पीएम कर रहे हैं।यह गर्व की बात नहीं, सिद्धार्थ नगर के माथे पर धब्बा है।इस धब्बे को मिटाने के लिए कपिलवस्तु ही है जिसे विकसित कर बुद्ध के नाम एक खूबसूरत शहर हो सकता है, जहां अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार के अवसर की भी संभावना है। कपिलवस्तु के विकास के नाम पर अब तक घोषित तमाम सारी योजनाओं को ही पूरा कर जिले को अंतरराष्ट्रीय फलक पर एक मुकाम दिया जा सकता है। लोगों की पीएम से गुजारिश है कि सिद्धार्थ नगर आगमन पर वे इस पर भी कुछ सोचें।