जुबिली न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद से ही शिवसेना विवादों से घिरी हुई हैं। वहीं शिवसेना ने राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू की समर्थन करने के बाद से सुर्खियों में बनी हुई हैं। मुर्मू के समर्थन को लेकर कयास लगाया जा रहा है कि कही उद्धव ठाकरे भाजपा के करीब जानें की कोशिश तो नहीं कर रहे है। क्या शिवसेना समर्थन करके कोई और संकेत देने की कोशिश कर रही है। ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं। तो आइए जानते है आखिरकार शिवसेना के मन में क्या चल रहा है।
बता दे कि शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव में NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। पार्टी के 18 में से 12 सांसदों ने प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुर्मू के समर्थन का अनुरोध किया। अब ठाकरे दावा कर रहे हैं कि उनपर यह फैसला लेने का किसी तरह का दबाव नहीं था, लेकिन उनके इस कदम में कई संकेत मिलते नजर आ रहे हैं।
शिवसेना और भाजपा के रिश्ते खत्म नहीं हुए
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुर्मू के समर्थन के फैसले के पीछे ठाकरे का एक बड़ा संदेश छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध चाह रहे हैं और केंद्र के साथ भी बिगड़े रिश्तों को सुधारना चाहते हैं। इस फैसले के जरिए ठाकरे अप्रत्यक्ष तौर पर यह दिखाना चाहते हैं कि शिवसेना और भाजपा के रिश्ते खत्म नहीं हुए हैं।
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पार्टी के पास नहीं था कोई विकल्प
वहीं खबरोंल की मानें तो एक वरिष्ठ नेता ने शिवसेना के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘जब पहली बार एक आदिवासी महिला को प्रोजेक्ट किया जा रहा है, तो कोई क्यों आपत्ति उठाएगा? फैसले का विरोध करने की कोई भी कोशिश महाराष्ट्र के आदिवासियों के बीच सही नहीं होगी। उन्होंने बात में माना कि पार्टी के पास सीमित विकल्प बाकी थे। नेता ने कहा, ‘एक ओर हमारे पास मुर्मू के तौर पर शिक्षित और अनुभवी आदिवासी नेता है। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा हैं। विपक्ष में भी सिन्हा को लेकर सहमति नहीं है। इसके बाद सेना उनका समर्थन क्यों करेगी। एक शिवसेना नेता ने कहा, ‘राजनीति में आप हमेशा के लिए दरवाजे बंद नहीं करते हैं। भविष्य का अनुमान कौन लगा सकता है?’
भाजपा ने दी ये प्रतिक्रिया
शिवसेना के इस फैसले का भाजपा ने भी स्वागत किया गया है। जानकारी के मुताबिक, एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी ठाकरे के साथ अपने संबंध खत्म नहीं करना चाहता। पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में राज्य और केंद्रीय नेताओं ने कैडर से ठाकरे को निशाना नहीं बनाने की अपील की है। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि ठाकरे अब फिर भाजपा के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कर रही है।
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