न्यूजीलैंड में लोग भारी संख्या में देश छोड़ रहे है। देश पहले ही काम करने वाले लोगों की कमी झेल रहा है और ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों का देश से जाना मुश्किलों को और बढ़ा रहा है। देश में आमतौर पर आने वाले प्रवासियों की संख्या कोविड के कारण कम रही है और अब स्थिति यह है कि देश में जितने काम करने लायक लोग हैं वे लगभग सारे किसी ना किसी तरह के काम में लगे होंगे लिहाजा अर्थव्यवस्था अधिकतम रोजगार की स्थिति में होगी। यानी नए कामों के लिए लोग उपलब्ध नहीं होंगे।
बता दे कि 12 जुलाई को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई 2021 से इस साल मई के बीच 10,674 लोग देश छोड़ गए थे. इससे पिछले साल भी देश छोड़ने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक रही थी।
यह मामला तब और पेचीदा व राजनीतिक हो गया जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने पिछले हफ्ते उस सवाल को टाल दिया जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या उनका देश अपने यहां नर्सों की कमी पूरी करने के लिए न्यूजीलैंड के लोगों को लुभा रहा है।
जानें क्यों देश छोड़ रहे लोग
कोविड महामारी के दौरान न्यूजीलैंड ने दुनिया के कुछ सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए थे। इसका लाभ यह तो हुआ कि देश में कोरोना वायरस का प्रकोप कम रहा और मौतें भी अन्य देशों के मुकाबले कम हुईं। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि आप्रवासियों का देश में आना रुक गया और काम-धंधों के लिए कर्मचारियों की कमी हो गई।हालांकि पाबंदियों के दौरान देश छोड़ने पर रोक नहीं थी लेकिन चूंकि लौटने पर सख्त पाबंदी के कारण लोग देश नहीं छोड़ रहे थे। इस वजह से ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या हो गई थी जो 2019-20 में बाहर जाना चाहते थे लेकिन महामारी के कारण रुके रहे। बीले भी उन्हीं में से एक थे।
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न्यूजीलैंड में विदेशों की यात्रा एक तरह की परंपरा रही है। आमतौर पर लोग 20 साल की उम्र हो जाने के बाद काम और घूमने के लिए विदेश जाते हैं। अक्सर वे यूरोप जाते रहे हैं लेकिन काम करने के लिए नए मौके तलाशने के वास्ते ऑस्ट्रेलिया भी ऐतिहासिक रूप से खूब लोकप्रिय रहा है। ऑस्ट्रेलिया में न्यूजीलैंड के मुकाबले मौसम गर्म होता है और वहां काम के मौके भी ज्यादा हैं।न्यूजीलैंड की लगभग 15 प्रतिशत आबादी यानी करीब दस लाख लोग विदेशों में रहते हैं। इस कारण प्रतिभाओं के चले जाने जैसी बहसें भी अक्सर होती रहती हैं।
भारी संख्या में देश छोड़ सकते है लोग
कयास लगाया जा रहा है कि इस साल के आखिर तक सालाना प्रवासन 20 हजार को पार कर सकता है। यानी इतने लोग देश छोड़ कर चले जाएंगे जिसका असर तन्ख्वाहों से लेकर काम करने वालों की संख्या तक अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं पर पड़ सकता है। वह कहते हैं, “जो कीवी बीते ढाई साल में देश छोड़कर जाते, वे सब अब जा रहे हैं। और हमें लगता है कि यह जारी रहेगा। यही यहां का जीवन है।
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