जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सबसे अहम हथियार वैक्सीन है। दुनिया के अधिकांश देशों में टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। अब तो कोरोना की कई वैक्सीन आ चुकी है, लेकिन कौन सी अच्छी है इस पर भी बहस जारी है।
दुनिया के कई देशों में लगाई जा रही है मार्डना और फाइजर की कोरोना वैक्सीन को लेकर एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि मॉडर्ना की वैक्सीन, फाइजर- बायोनटेक के कोरोना टीके की तुलना में दोगुना एंटीबॉडीज बनती है।
कोरोना टीकाकरण के बाद लोगों में बनी एंटीबॉडीज को लेकर किए गए नए शोध में यह दावा किया गया है।
बेल्जियम के एक बड़े अस्पताल में ढ़ाई हजार लोगों पर किए गए शोध में पाया गया कि कोरोना टीका लेने से पहले कोरोना से संक्रमित नहीं होने वाले लोगों में मॉडर्ना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद फाइजर का टीका लेने वालों की तुलना में अधिक एंटीबॉडीज थी। स्टडी का परिणाम सोमवार को अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित हुए।
शोध के अनुसार, मॉडर्ना वैक्सीन में एक्टिव इंग्रीडिएंट्स 100 माइक्रोग्राम पाया गया जबकि इसकी तुलना में फाइजर-बायोनटेक के टीके में इसकी मात्रा 30 माइक्रोग्राम थी।
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मालूम हो कि इसी साल जुलाई में भारत में मॉडर्ना को वैक्सीन इंपोर्ट की अनुमति दे दी गई थी। मॉडर्ना को यह अनुमति आपातकालीन हालात में प्रतिबंधित इस्तेमाल के लिए मिली है।
मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन 19 साल या फिर उससे ज्यादा उम्र वाले लोगों को लगाई जा सकती है।
वहीं, न्यूजीलैंड में फाइजर की वैक्सीन से पहली मौत दर्ज की गई है। न्यूजीलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि एक महिला को हृदय की मांसपेशियों में सूजन के कारण एक दुर्लभ दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ा।
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