न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) काऊंसिल की 37वीं बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। बैठक में कई चीजों से टैक्स का बोझ कम किया गया है। वहीं कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है।
मतलब साफ है कि 1 अक्तूबर से अब कई प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे, वहीं रोजमर्रा के कई सामान सस्ते होने वाले हैं। वहीं ऑटो सैक्टर में उम्मीद के मुताबिक जीएसटी की दर कम नहीं की गई मगर सैस जो पहले 15 प्रतिशत लगता था उसे कम कर दिया गया है जिस कारण अब कारें सस्ती मिलेंगी।
जीएसटी काऊंसिल की गोवा बैठक में सबसे बड़ी राहत होटल इंडस्ट्री को मिली है। अब 1,000 रुपए तक किराए वाले कमरे पर टैक्स नहीं लगेगा, वहीं इसके बाद 7,500 रुपए तक टैरिफ वाले रूम के किराए पर अब सिर्फ 12 प्रतिशत जीएसटी देना होगा।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले और 28 प्रतिशत के जीएसटी के दायरे में आने वाले 10 से 13 सीटों तक के पैट्रोल- डीजल वाहनों पर सैस को घटा दिया गया है। 1200 सीसी के पैट्रोल वाहनों पर सैस की दर 1 प्रतिशत और 1500 सीसी के डीजल वाहनों पर 3 प्रतिशत कर दी गई है।
दोनों तरह के वाहनों पर सैस की मौजूदा दर 15 प्रतिशत है, वहीं जीएसटी की दर 28 प्रतिशत है। सूखी इमली पर जीएसटी दर जीरो हो गई है। इससे पहले 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था। स्लाइड फास्टनर्स (जिप) पर जीएसटी 18 से घटकर 12 प्रतिशत।
समुद्री नौकाओं का ईंधन, ग्राइंडर, हीरा, रूबी, पन्ना या नीलम को छोड़कर अन्य रत्नों पर टैक्स की दर घटा दी गई है। इसके साथ ही भारत में नहीं बनने वाले कुछ विशेष किस्म के रक्षा उत्पादों को भी जीएसटी से छूट दी गई है।
रेलगाड़ी के सवारी डिब्बे और वैगन पर जीएसटी की दर 5 से बढ़ा कर 12 प्रतिशत। पेय पदार्थों पर जीएसटी की दर वर्तमान 18 की जगह 28 प्रतिशत और 12 प्रतिशत का अतिरिक्त सैस लगाया। इसके अलावा माल की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले बुने/ बिना बुने पॉलीप्रोपेलीन की थैलियों और बोरियों पर एक समान 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा।
अन्य फैसले
- बादाम के दूध पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
- डायमंड जॉब वर्क पर जीएसटी 5 से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया गया।
- मशीन जॉब की आपूर्ति पर जीएसटी को 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया।
- जीएसटी रिटर्न के प्रोसैस को आसान करने के लिए अधिकारियों की एक कमेटी गठित की जाएगी। काऊंसिल के फैसले के मुताबिक रिटर्न फाइल करने का नया तरीका अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा ताकि लोगों को इसे अपनाने में दिक्कत न हो।