Tuesday - 5 November 2024 - 2:09 AM

सपा- बसपा के साथ नहीं आने से आरएलडी को फायदा या नुकसान, जानें

बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है. बसपा के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया कि वह चुनाव के बाद ही भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन यानी INDIA अलायंस और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल होने का निर्णय करेगी. बसपा प्रमुख मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर 15 जनवरी को यूपी की राजधानी लखनऊ में ये एलान किया.

इस एलान के बाद माना जा रहा है कि इंडिया अलायंस द्वारा विपक्ष की ओर से भी सभी सीटों पर संयुक्त प्रत्याशी उतारने की उम्मीदों को झटका लग रहा है. सपा , बसपा और कांग्रेस के साथ न आने के राष्ट्रीय लोकदल के लिए नफा-नुकसान की स्थिति बराबर बताई जा रही है. अगर मायावती इंडिया अलायंस के साथ आतीं तो वह पूरे गठबंधन के लिए 18 फीसदी के करीब वोट अपने साथ लातीं जो सहयोगी दलों में बटता तो उससे पश्चिमी यूपी में रालोद की भी स्थिति मजबूत होती और वह कुछ सीटों पर लड़ाई में आ जाती.

हालांकि जानकार यह भी बताते हैं कि अगर बसपा इंडिया अलायंस में आती तो रालोद जिन सीटों की डिमांड कर रही है वह शायद ही उसे मिल पातीं, ऐसे में मायावती का गठबंधन के साथ न आना एक तरह से उसके लिए फायदेमंद ही रहा.

बसपा के बारे में माना जाता है कि उसके साथ मुस्लिम और दलित वोट बैंक है. उसके पास दलित वोट बैंक के तौर पर कम से कम 20 फीसदी वोट हैं. इसके अलावा कुछ फीसदी मुस्लिम मतों पर भी उसकी पकड़ है. अगर वह अलायंस में आती तो रालोद के लिए पश्चिमी यूपी की उन सीटों पर दावा करना मुश्किल हो जाता है जहां जाट और मुस्लिम मतदाताओं की बहुतायत है. 

वहीं अब जबकि बसपा इंडिया अलायंस में नहीं आई तो ऐसे में रालोद के लिए एक ओर जहां उन सीटों पर दावा करना आसान हो गया है जिन पर वह चुनाव लड़ना चाहती थीं, वहीं उसके साथ अपना वोट बैंक है ही जिसके दम पर वह लोकसभा चुनाव में उतरेगी.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com