जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले अपनी वसीयत में अपने घर वालों और चाहने वालों के नाम अपनी वसीयत की है. इस वसीयत में उन्होंने अपनी मजलिस पढ़ने के लिए किस तरह का मौलाना बुलाया जाए और उनके सवाब के लिए उनके चाहने वाले किस रास्ते को अपनाएं यह भी बताया है.
मौलाना कल्बे सादिक ने अपनी वसीयत में कहा है कि मुझे सवाब (पुण्य) पहुंचाने के लिए कुरान शरीफ की तिलावत (पाठ) की जाए. साथ ही उन्होंने लिखा है कि उनकी मजलिस पढ़ने के लिए ऐसे आलिम को दावत दी जाए जो कुरान और अहलेबैत की तालीमात (शिक्षाओं) के बारे में अच्छी तरह से जानकारी देना जानता हो.
मौलाना ने लिखा है कि अगर इस तरह का आलिम आसानी से न मिल पाए तो मीर अनीस के लिखे मर्सिये पढ़वा दिए जाएं. उन्होंने लिखा है कि मेरे ईसाले सवाब के लिए की जाने वाली मजलिसें बेहद सादगी से की जाएं.
अपने चाहने वालों से मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने वसीयत की है कि वह अगर मेरे ईसाले सवाब के लिए कुछ करने का ख्वाहिशमंद हो तो वह किसी ऐसे बच्चे की शिक्षा और जीवनयापन की ज़िम्मेदारी उठा ले जो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहता हो लेकिन पैसों की कमी की वजह से उसे पढ़ाई करने में दिक्कत आ रही हो.
मौलाना डॉ. कल्बे सादिक ने दीन को समझने वालों से वसीयत की है कि जो काम हम नहीं कर पाए उसे वह अंजाम दें. वह सिर्फ उन कामों को अपनाएं जिसमें अल्लाह की मर्जी हो. वह हक़ के रास्ते पर रहें और किसी को इन्साफ दिलाने की राह में बेख़ौफ़ होकर काम करें.
मौलाना कल्बे सादिक ने अपनी कौम से कहा है कि कौम के हालात सिर्फ बेहतर इल्म हासिल करने से ही हो सकते हैं. सभी लोग ज्यादा से ज्यादा इल्म हासिल करने की कोशिश करें. इल्म बढ़ेगा तो दिक्कतें दूर होंगी और हालात बेहतर होंगे.
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मौलाना कल्बे सादिक ने अपनी वसीयत के आखीर में लिखा है कि दुनिया में इंसानियत का पैगाम पहुंचाने के काम में सभी लोग लगें. समाज में भाईचारा कायम करें और आपस में सभी लोगों को करीब लाने की कोशिश करें. उन्होंने लिखा है कि वही समाज बेहतर होता है जिसमें सभी लोग भाईचारगी से रहते हैं.