Tuesday - 29 October 2024 - 2:43 PM

जांच एजेंसियों के निशाने पर किसान आंदोलन में शामिल नेता

जुबिली न्यूज डेस्क

पिछले दिनों खबर थी कि किसान आंदोलन को समर्थन करने वाले आढ़तियों, पंजाबी गायकों और किसान नेता आयकर के निशाने पर हैं। आंदोलन से इन लोगों के यहां आयकर विभाग (आईटी) की छापेमारी हुई थी। अब नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की ओर से समन किए जाने की बात सामने आई है।

एनआईए ने लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को समन भेजा है। दरअसल सिरसा किसान आंदोलन में खासे सक्रिय हैं और सरकार के साथ हो रही बातचीत में भी लगातार हिस्सा ले रहे हैं।

सिरसा से कहा गया है कि वे नई दिल्ली में स्थित एनआईए के हेडक्वार्टर में 17 जनवरी को उपस्थित हों। सिरसा को यह समन सिख फॉर जस्टिस (एसएफज़े) के संयोजक गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ दर्ज एक मामले में भेजा गया है।

मोदी सरकार पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि वह अपने राजनीतिक विरोधियों और उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप कराने के लिए देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है।

इससे पहले किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले पंजाबी गायकों और किसान नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियां ईडी और सक्रिय हो गई थीं और आईटी महकमा आढ़तियों के खिलाफ नोटिस देने से लेकर छापेमारी तक की कार्रवाई कर चुका है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’  से बातचीत में सिरसा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट के जरिये ऐसा करने की कोशिश की और अब वह एनआईए का इस्तेमाल कर रही है।

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सिरसा ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन से जुड़े कई लोगों को इस तरह के समन भेजे गए हैं और यह किसानों को डराने की कोशिश है। फिलहाल हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हम नहीं झुकेंगे। एनआईए दिन-रात 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर परेड को न होने देने की कोशिश में जुटी है।

12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से कहा था कि सरकार को पता चला है कि दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन में खालिस्तानी तत्वों की घुसपैठ हो गई है।

एनआईए ने एसएफजे के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में उस पर और कुछ अन्य खालिस्तान समर्थक संगठनों पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।

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इस एफआईआर में कहा गया है कि भारत सरकार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए विदेशों से बहुत सारा पैसा इक_ा किया जा रहा है और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी सहित कई देशों में भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।

एफआईआर में यह भी कहा गया है इकट्ठा  किए गए पैसे को गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के जरिये भारत में बैठे खालिस्तान समर्थकों को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जा रहा है।

FIR में दावा किया गया है कि एसएफज़े और कुछ अन्य खालिस्तान समर्थक संगठन इस पूरी साजिश में शामिल हैं और इसके लिए सोशल मीडिया पर लगातार अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा ये संगठन युवाओं को अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए भड़का रहे हैं।

वहीं शुक्रवार को सरकार के साथ हुई नौवें दौर की बैठक के दौरान किसान नेताओं ने उनके आंदोलन का समर्थन करने वालों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही छापेमारी और उनके खिलाफ यूएपीए जैसा कड़ा कानून लगाए जाने का मुद्दा उठाया था। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि वह इस मामले को देखेगी।

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