Tuesday - 29 October 2024 - 7:40 AM

जानिए उस शख्स के बारे में जिसे रूस बनाना चाहता है यूक्रेन का राष्‍ट्रपति

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आज सातवां दिन है। दोनों देशों के बीच जोरदार जंग देखने को मिल रही है। रूस ने यूक्रेन को चारों ओर से घेर लिया है और कई शहरों पर कब्जा करने के बेहद करीब पहुंच गया है।

हालांकि यूक्रेन लगतार रूस को कड़ी टक्कर देता नजर आ रहा है। इस बीच एक खबर काफी तेजी से जोर पकड़ रही है। दरअसल अब एक यूक्रेन के पूर्व राष्‍ट्रपति विक्टर यानुकोविच का नाम एकाएक सुर्खियों में आ गया है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पुतिन-जेलेंस्की की जंग में अब एक यूक्रेन के पूर्व राष्‍ट्रपति विक्टर यानुकोविच का नाम क्यों सामने आया है। जानकारी मिल रही है कि रूस विक्टर यानुकोविच को यूक्रेन का राष्‍ट्रपति बनाना चाहता है।

इसके लिए रूस ने तैयारी कर डाली है और रूस भगोड़े पूर्व राष्‍ट्रपति को जेलेंस्की की गद्दी पर बैठाने उसने ठोस योजना भी बनायी है। ये सब जानकारी यूक्रेनी खूफिया एजेंसी से मिल रही है। माना तो यह भी जा रहा है कि बहुत जल्द रूस इसका अनौपचारिक एलान भी कर सकता है।

कौन है Yanukovych

विक्टर यानुकोविच का जन्म डोनेट बेसिन में हुआ था और अपने शुरुआती जीवन में दो बार जेल की हवा खा चुके है। 1980 में उन्होंने डोनेट्स्क पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट (अब डोनेट्स्क स्टेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वो कम्युनिस्ट पाटी में इंट्री कर ली थी। इसके बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ‘लियोनिद कुचमा’ ने उनको 2002 पीएम नियुक्त कर दिया।

2004 के बाद उनको रूस के राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाने लगे। मीडिया रिपोट्र्स की माने तो पुतिन ने भी उनका समर्थन करने की पेश की थी। चुनावी कैंपेन के दौरान, उनके विरोधी विक्टर यूशचेंकों पर जानलेवा हमला होने के बाद वे मुकाबले से बाहर हो गए और इसके बाद यानुकोविच को विजयी घोषित कर दिया गया था।

लेकिन मामला तब और ज्यादा आगे बढ़ गया जब सर्वोच्च अदालत ने इन चुनावी नतीजे को पलट दिया और उनका हारा घोषित कर दिया गया। हालांकि साल 2010 में यानुकोविच दोबारा राष्ट्रपति चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं लेकिनराष्ट्रपति बनते ही रूस के प्रति उनका झुकाव भी देखने को मिला।

इसका नतीजा यह रहा कि अप्रैल 2010 में उन्होंने रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के साथ एक समझौता किया और सेवस्तोपोल बंदरगाह के रूस के पट्टे का विस्तार 2042 तक कर दिया। इसके बाद साल 2013 में उनका भारी विरोध देखने को मिला और विक्टर 2010 से फरवरी 2014 में अपने निष्कासन तक देश के राष्‍ट्रपति रहे, जिसके बाद वे निर्वासन में रहने के लिए रूस भाग गए।

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