जुबिली न्यूज डेस्क
देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो जल्द चलने वाली है। 28 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी हरी झंडी दिखाकर इसकी शुरुआत करेंगे। यह ट्रेन में ट्रैक की कमी पहचानने के लिए हाई रेज्यूलेशन कैमरे, रीयल टाइम मॉनिटरिंग ट्रेन इक्विपमेंट, रिमोट हैंडलिंग इमर्जेंसी अलार्म और कई उच्च स्तर की तकनीक से लैस है।
छह डिब्बों वाली ट्रेन में पहले की तुलना में 240 यात्री ज्यादा (कुल 2280 पैसेंजर) आएंगे। 20 फीसदी ऊर्जा कम खपेगी और 10 फीसदी स्पीड बढ़ जाएगी।
ड्राइवरलेस ट्रेन का कंट्रोल रूम दिल्ली के बाराखंबा रोड स्थित मेट्रो भवन में होगा। परेशानी के वक़्त यात्री अलार्म बटन दबाकर ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर से जुड़ सकते हैं। इसके अंदर-बाहर दोनों ओर सीसीटीवी कैमरे हैं। अलग-अलग जगह पांच कैमरे ट्रेन के बाहर होंगे। यात्रियों को वाई-फाई सुविधा मिलेगी।
विकलांगता के शिकार लोगों के लिए यह मेट्रो ज्यादा आरामदायक होगी। व्हीलचेयर वाले हिस्से में पीठ को सहारा देने के लिए विशेष बैकरेस्ट है। खड़े होकर यात्रा करने वालों के लिए पोल व ग्रैब रेल को दोबारा डिजाइन किया गया है।
महिलाओं एवं बुजुर्गों की सीटों को अलग रंग में रखा गया है। कुल 81 (486 कोच) ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेनें दिल्ली मेट्रो ने खरीदी हैं. इसमें 20 ट्रेनें दक्षिण कोरिया में बनी हैं।
डीएमआरसी के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल की माने तो 37 किलोमीटर की मजेंटा लाइन (जनकपुरी वेस्ट से बोटैनिकल गार्डन) पर बिना ड्राइवर के ट्रेन का संचालन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इसी दिन नैशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड की भी शुरुआत करेंगे। यह 23 किलोमीटर की एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन (नई दिल्ली से द्वारका 21) के लिए होगा।
PM Modi will flag off the country’s first-ever fully automated driverless train service on 37km Magenta Line (Janakpuri West to Botanical Garden) & will also launch fully operational National Common Mobility Card for travel on Airport Express Line on Dec 28: Delhi Metro Rail Corp pic.twitter.com/GGRECpv0fQ
— ANI (@ANI) December 24, 2020
DMRC के अधिकारी के मुताबिक पिंक लाइन और मजेंटा लाइन की शुरुआत से ही ड्राइवर लेस टेक्निक के साथ पत्रियों पर उतरी थी। 2017 में ही मजेंटा लाइन की शुरुआत ड्राइवर लेस टेक्निक से युक्त ट्रेनों के साथ हुई थी, लेकिन अब तक ड्राइवर की मदद से ही ट्रेनों को ऑपरेट किया जाता रहा। ट्रैन को अब तक ड्राइवर ही स्टार्ट करते आएं हैं जिसके बाद ट्रेन सी. बी. टी. सी तकनीक से चलती रही।
कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CMRS) ने यह सुनिश्चित किया है कि बिना ड्राइवर के ट्रेन चलाने के लिए सभी मानकों को पूरा किया गया है या नहीं। सभी पैमानों पर संतुष्ट होने के बाद ही 18 दिसंबर को यूटीओ लॉन्च की इजाजत दी गई है। इस ट्रेन में इंडियन रेल चेक सिस्टम लगाया गया है जो कि हाई रेज्यूलूशन कैमरा पर आधारित है।
ये भी पढ़ें: बसपा प्रमुख मायावती ने यूपी सरकार से की ये मांग
सूत्रों का कहना है कि रेलवे ट्रैक में होने वाली दिक्कतों को यह कैमरा पहचान लेता है और कंट्रोल रूम को जानकारी दे देता है। अभी इसे कमांड सेंटर से कंट्रोल किया जाएगा। कह सकते हैं कि पूरी तरह से ड्राइवर लेस होने में अभी थोड़ा और समय लग जाएगा।
दयाल ने बताया, ‘अभी हम ड्राइवरलेस ऑपरेशन शुरू करने जा रहे हैं। अभी रोविंग अटेंडेंट ट्रेन में मौजूद रहेगा। अभी डीएमआरसी सभी रूट पर 7-8 ट्रेनों में रेल चेक कैमरा लगाने की योजना बना रहा है।’ अब सरकार ने भी ड्राइवरलेस ट्रेन को अनुमति दे दी है। इससे पहले सरकारी नियमों में इसकी इजाजत नहीं थी।
ये भी पढ़ें: क्यों अहम हैं इस बार के पंचायत चुनाव
चालक रहित मेट्रो में भी शुरुआत में हर ट्रेन के अंदर एक मेट्रो सहायक रहेंगे। यह चालक नहीं होगा मगर अगर किसी यात्री को कोई परेशानी होती है तो वह इससे संपर्क कर सकते हैं। ट्रेन के अंदर यात्री के सीधे कंट्रोल रूम में संपर्क करने की सुविधा भी होगी। ट्रेन में कैमरे होंगे कंट्रोल रूम में बैठा व्यक्ति उस कैमरे के जरिये ट्रेन के अंदर निगरानी करने के साथ यात्री से सीधे बातचीत कर पाएगा।
बता दें कि मौजूदा समय में ड्राइवर फ्रंट और बैक बोर्ड दोनों जगह रहते हैं और ट्रैक को भी मॉनिटर करते रहते हैं। सीएमआरएस ने डीएमआरसी से कहा है कि ट्रेन के कैमरों को मॉइस्चर फ्री बनाया जाए जिससे खराब मौसम में भी किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
37 किलोमीटर लंबी मजेंटा लाइन पर चालक रहित मेट्रो के सफल परिचालन के बाद दूसरी लाइन पर इसका प्रयोग किया जाएगा। 25 स्टेशन वाली मजेंटा लाइन दिल्ली नोएडा को आपस में जोड़ने के साथ दक्षिणी दिल्ली से नोएडा की दूरी कम करती है। यह लाइन एयरपोर्ट लाइन को भी जोड़ती है।
ये होंगे फायदे
– मैनुअल गलती की संभावना खत्म हो जाएगी
– मेट्रो की स्पीड में इजाफा होगा, सफर का समय घटेगा
– दो मेट्रो के बीच की दूरी कम की जा सकेगी तो फ्रीक्वेंसी बढ़ेगी
– यात्री ट्रेन वाली दिशा में सामने जाकर देख सकेंगे