जुबिली न्यूज़ डेस्क
महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर जारी रस्साकशी के बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन के आसार साफ नजर आने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी है कि प्रदेश में संवैधानिक तरीके से सरकार का गठन नहीं हो सकता, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
बता दें कि महाराष्ट्र में कई दिन से जारी इस सियासी घमासान के बीच कई नाम चर्चा में रहे हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पूरे प्रकरण में जिसकी रही वो सूबे के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी हैं।
ऐसे में आइए उनके विषय में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं कि आखिर भगत सिंह कोश्यारी कौन हैं, कैसे उन्होंने अपना अब तक का सफ़र तय किया ?
आगरा विवि से अंग्रेज़ी साहित्य में आचार्य की उपाधि ली
बता दें कि भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखण्ड के कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की।
कभी बीजेपी ने उनके प्रतिद्वन्दी को बनाया था सीएम
कोश्यारी का राजनैतिक जीवन का प्रारम्भ शिक्षणकाल के दौरान ही प्रारम्भ हो गया था। शिक्षणकाल में ही अपने जीवन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिये समर्पित कर चुके हैं।
1961 में कोश्यारी अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। वर्ष 2005-2007 के बीच वे भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखण्ड राज्य प्रमुख थे। 1977 में आपातकाल के समय उन्होंने विरोध किया और उन्हें बंदी बनाया गया। वर्ष 2000 में उन्हें नए बने राज्य उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) का ऊर्जा, सिंचाई, कानून और विधायी मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया। 2001 में वे नित्यानन्द स्वामी के स्थान पर मुख्यमंत्री भी बने।
वहीं वर्ष 2007 के राज्य विधानसभा चुनावों में में भाजपा की जीत के पश्चात भी उन्हें मुख्यमंत्री न बनाकर उनके प्रमुख प्रतिद्वन्दी मेजर जनरल भुवन चन्द्र खण्डूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया। कोश्यारी 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे। 2014 में बीजेपी ने नैनीताल सीट संसदीय सीट से उन्हें मैदान में उतारा और वह जीतकर पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए, लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
हालांकि मोदी सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी है। बताया जाता है कि आरएसएस से नजदीकी होने के चलते उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है।
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