Monday - 28 October 2024 - 10:30 PM

Kisan Andolan : बातचीत से पहले किसानों ने किसको लिखी चिट्ठी

जुबिली स्पेशल डेस्क

पिछले 26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर देशभर से जुटे किसान केंद्र सरकार के तीन नये कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।
कई दौर की बातचीत के बावजूद कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है।

वहीं एक बार फिर से केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत का न्योता भेजा है लेकिन उससे पहले किसानों ने एक बार फिर अपना एजेंडा सरकार को याद दिलाया है।

उधर सातवें दौर की बैठक से पूर्व ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक होने की सूचना है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर दोहराया है।

अपने पत्र में किसानों ने साफ कर दिया है केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की बात कही है। इसके साथ पत्र में कहा है कि 30 दिसंबर को दोपहर 2: 00 बजे वार्ता का निमंत्रण हमें स्वीकार है। बैठक के लिए हमारे द्वारा भेजे प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद।

क्या है मांग?

  •   तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग
  • सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान तय किया जाए
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020″ में ऐसे संशोधन हों जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं
  •  किसानों के हितों की रक्षा के लिए ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे को वापस लेने की प्रक्रिया

बता दे कि कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार से आरपार की लड़ाई के लिए दिल्ली बार्डर पर जमा हुए किसानों को खुले आसमान के नीचे एक महीना बीत चुका है।

इस एक महीने में सरकार और किसानों में छह दौर की बेनतीजा बातचीत हो चुकी है. एक महीना बीत जाने के बाद भी हालात यह हैं कि हालात जहाँ के तहां हैं। सरकार क़ानून वापस लेने को तैयार नहीं है और किसान बगैर मांग पूरी हुए अपने कदम वापस लेने को तैयार नहीं हैं।

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एक महीना पहले किसान जब दिल्ली बार्डर पर जमा हुए थे उसी समय उन्होंने यह एलान कर दिया था कि कृषि कानूनों की वापसी से पहले वह वापस लौटने वाले नहीं हैं, भले ही कितना भी समय आन्दोलन करना पड़े।

किसानों ने उसी समय यह भी बता दिया था कि वह अपने साथ छह महीने का राशन लेकर आये हैं, कम पड़ेगा और तो और मंगाएंगे.

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