जुबिली न्यूज़ डेस्क
नए कृषि कानून को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानो को आज पूरा एक महीना हो गया। इस एक महीने ने सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई कई दौर की बातचीत से कोई रास्ता नहीं निकल सका है। इस बीच सरकार ने बीते दिन एक और चिट्टी लिख कर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने को कहा है।
सरकार की तरफ से भेजी गई चिट्टी में ये कहा गया है कि सरकार किसानों के मुद्दे को हल करने को लेकर गंभीर है। साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है। उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा। वहीं, किसानों का कहना है कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी।
सरकार द्वारा भेजे गये इस प्रस्ताव को लेकर क्या जवाब देना है? इसे लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की आज दोपहर 2 बजे बैठक करेंगे। केंद्र सरकार की चिट्ठी पर औपचारिक रूप से जवाब देने को लेकर इस बैठक में चर्चा होगी। इसके बाद किसान संघर्ष समिति की प्रेस कॉन्फ्रेंस 3 बजे होगी।
इस बीच एक तरह देश में हजारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दोपहर 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी करेंगे।प्रधानमंत्री एक बटन दबाकर, 9 करोड़ से लाभार्थी किसान परिवारों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेजेंगे।
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय विभाग के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर बताया कि सरकार खुले दिल से हर मुद्दे पर वार्ता करने को तैयार है। इसलिए किसानों को भी वार्ता के लिए एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए।
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उन्होंने आगे लिखा कि, किसानों को भी खुले मन से आगे आते हुए इस किसान आंदोलन को समाप्त करते हुए वार्ता के लिए आना चाहिए।किसान अपनी सुविधा के अनुसार समय और तारीख तय कर लें, उनके तय समयानुसार ही विज्ञान भवन पर हर मुद्दे पर बात होगी।’
वहीं, आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि वार्ता के लिए सरकार का नया पत्र कुछ और नहीं, बल्कि किसानों के बारे में एक दुष्प्रचार है, ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि वे बातचीत को इच्छुक नहीं हैं। साथ ही, किसान संगठनों ने सरकार से वार्ता बहाल करने के लिए एजेंडे में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने को भी शामिल करने को कहा।
किसान संगठनों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग से अलग नहीं किया जा सकता है। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी का मुद्दा उनके आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।