जुबिली न्यूज़ डेस्क
कृषि कानून को लेकर किसानों का आन्दोलन लगातार जारी है। सिंधु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। इस आन्दोलन से सरकार पस्त है कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है।
इस बीच किसानो ने 6 फ़रवरी को चक्का जाम करने की बात कही है।जिसकी वजह से फिर से उपद्रव से बचने के लिए और किसानो को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए पुलिस नई तरीका अपना रही है।
सियासत तू है कमाल
उठाके रास्ते में दीवार
बिछाकर कँटीले तार
कहती है आ करें बात#किसान#नहीं_चाहिए_भाजपा— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 2, 2021
दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए कहीं कंटीलें तार बिछा दिए हैं तो कही दिवार बना दी है। जिससे किसान दिल्ली में न घुस सके। दिल्ली पुलिस की इस हरकत पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए निशाना साधा है उनका ये अंदाज कुछ शायराना है।
सपा अध्यक्ष ने ट्वीट किया कि, ‘सियासत तू है कमाल, उठाके रास्ते में दीवार, बिछाकर कंटीले तार, कहती है आ करें बात’। इसके बाद उन्होंने दो हैशटैग किसान और नहीं चाहिए भाजपा लिखा है।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सहित दूसरे बार्डरों पर दिल्ली की ओर आने वाली सड़कों पर कीलें लगवा दी हैं। यही नहीं सड़के खुदवा कर उसमें इस तरह से सीमेंट से जोड़ा गया है, जिससे इन्हें तोड़ा न जा सके।कहीं लोहे की मोटी चादर में वेल्डिंग कराकर इन चादरों को बिछवा दिया गया है। ताकि किसान के ट्रैक्टर किसी भी हाल में दिल्ली में प्रवेश न कर सके। अगर पार करने की कोशिश करेंगे तो ट्रैक्टर पंचर हो जाएंगे।
ये भी पढ़े : दिल्ली बॉर्डर की ये तस्वीरें हो रही हैं वायरल, राहुल बोले- पुल बनाइए दीवार नहीं
इसके अलावा पुलिस ने बॉर्डर इलाकों में दो-दो फुट मोटी कंक्रीट की दीवार भी बनवा दी है।ये दीवार इतनी मोटी और मजबूत हैं कि ट्रैक्टर की टक्कर से नहीं टूटेगी।वहीं बॉर्डर पर मेट्रो लाइन के किनारे लगने वाले कंटीले तार भी लगवाए गए हैं।ताकि किसानी पैदल भी न सके।
ये भी पढ़े : महाराष्ट्र: पोलियो ड्रॉप्स की बजाय बच्चों को पिलाया सैनिटाइजर
वहीं, दिल्ली की शाहदरा जिला पुलिस को तलवार जैसे दिखने वाले खास तरह के स्टील के डंडे और बाजूबंद भी उपलब्ध करा दिए गये हैं, जिससे पुलिसकर्मी सामने होने वाले हमले को इन डंडों की मदद से रोक सके। साथ ही बॉर्डर पर इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी गई हैं, जिससे किसान आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान न कर सकें।