Friday - 25 October 2024 - 2:57 PM

रात का राजा : लक्ष्मी का वाहन उल्लू

प्रो. अशोक कुमार

उल्लू एक अद्भुत पक्षी है जो अपनी विशिष्ट बनावट और रहस्यमयी स्वभाव के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर रात का राजा कहा जाता है क्योंकि यह रात में सबसे अधिक सक्रिय होता है। उल्लू, अपनी विशिष्ट बनावट और रात के अंधेरे में सक्रिय रहने के कारण, सदियों से मानव सभ्यता में विभिन्न मिथकों और मान्यताओं से जुड़ा रहा है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उल्लू को लेकर अलग-अलग तरह के विचार और धारणाएं पाई जाती हैं।

भारत में उल्लू से जुड़े मिथक 

लक्ष्मी का वाहन: हिंदू धर्म में, उल्लू को धन की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। यह एक ऐसा संयोग है जो कई लोगों को आश्चर्यचकित करता है।

आखिरकार, उल्लू को अक्सर बुराई और अंधकार से जोड़ा जाता है। तो फिर लक्ष्मी जी ने उल्लू को अपना वाहन क्यों चुना? एक बार रात्री मे माता लक्ष्मी पृथ्वी पर घूम रही थीं।

वे एक ऐसे स्थान की तलाश में थीं जहां वे निवास कर सकें। उन्होंने चारों ओर देखा, लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा पशु या पक्षी नहीं मिला जो उन्हें अपना वाहन बनने के लिए तैयार हो। तभी उन्होंने एक उल्लू को देखा।

उल्लू अंधेरे में भी बहुत अच्छी तरह देख सकता था। वह बहुत ही बुद्धिमान और चालाक था। माता लक्ष्मी ने उल्लू से कहा, “तुम मेरा वाहन बनोगे?”

उल्लू ने तुरंत हां कर दी। उल्लू को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। माता लक्ष्मी ज्ञान और बुद्धि की देवी भी हैं। इसलिए उन्होंने उल्लू को अपना वाहन बनाकर ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक बनाया।

आज के समय में, उल्लू को बुराई और अंधकार से जोड़ना एक गलत धारणा है। उल्लू एक बहुत ही बुद्धिमान और सुंदर पक्षी है। माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन बनाकर यह संदेश दिया कि हमें हर चीज को उसके अच्छे और बुरे पहलुओं के साथ देखना चाहिए।

हालांकि, कुछ अंधविश्वासों के कारण दिवाली जैसे त्योहारों पर उल्लू की बलि देने की प्रथा भी देखने को मिलती है, जो कि पूरी तरह से गलत और पापपूर्ण है।

कुछ जगहों पर इसे मूर्ख माना जाता है। उल्लू को मूर्ख के रूप में दिखाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

रात में सक्रिय होना: उल्लू रात में शिकार करते हैं और दिन में सोते हैं। शायद इसीलिए उन्हें नींद में रहने वाला यानी बेवकूफ समझा जाने लगा।

अजीब सी आवाज: उल्लू की आवाज काफी अलग होती है। हो सकता है लोगों ने इस आवाज को समझने में असमर्थ होकर उन्हें बेवकूफ समझ लिया हो।

अंधेरे से जुड़ाव

अंधेरा अक्सर डर और रहस्य से जुड़ा होता है। चूंकि उल्लू अंधेरे में सक्रिय रहते हैं, इसलिए उन्हें भी अंधेरे से जुड़े डर और रहस्यों से जोड़कर देखा जाता था।

अलौकिक शक्तियों से जोड़ना: कुछ संस्कृतियों में उल्लू को अलौकिक शक्तियों से जोड़ा जाता था। उन्हें बुरी शक्तियों का दूत या भूत-प्रेतों का साथी माना जाता था।

लोककथाओं और कहानियों का प्रभाव: कई लोककथाओं और कहानियों में उल्लू को बुद्धिमान नहीं बल्कि मूर्ख के रूप में दिखाया गया है। इन कहानियों का प्रभाव लोगों के मन पर पड़ा और उल्लू की छवि खराब हो गई।

अशुभ शकुन: कुछ लोग उल्लू को अशुभ शकुन मानते हैं और मानते हैं कि अगर उल्लू घर के आसपास आ जाए तो कोई बुरा संकेत होता है।

कुछ भारतीय संस्कृतियों में उल्लू को मृत्यु का संदेशवाहक माना जाता था।

विज्ञान क्या कहता है: वैज्ञानिकों के अनुसार, उल्लू बेहद बुद्धिमान पक्षी होते हैं। वे समस्याओं को हल करने और नए वातावरण में अनुकूल होने में सक्षम होते हैं।

उल्लू मुख्य रूप से छोटे स्तनधारी, कीड़े और अन्य छोटे जानवरों को खाता है। उल्लू जंगलों, घास के मैदानों और रेगिस्तानों जैसे विभिन्न प्रकार के आवासों में पाया जाता है।

अन्य संस्कृतियों में उल्लू से जुड़े मिथक

ग्रीक पौराणिक कथाएं: अथेना, बुद्धि की देवी, को अक्सर उल्लू के साथ दर्शाया जाता था। इसीलिए उल्लू को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता था। कई अन्य संस्कृतियों में भी उल्लू को ज्ञान और बुद्धि से जोड़ा जाता था।

पश्चिमी संस्कृतियाँ: मध्य युग में यूरोप में उल्लू को अक्सर बुराई और शैतान से जोड़ा जाता था। उन्हें चुड़ैलों का साथी माना जाता था।

रोम: रोमनों के लिए भी उल्लू ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक था।

सेल्टिक संस्कृति: सेल्टिक संस्कृति में उल्लू को जादू टोने और भविष्यवाणी से जोड़ा जाता था।

उल्लू से जुड़े कुछ आम मिथक:

उल्लू मरे हुए जानवरों को खाते हैं: यह पूरी तरह से सच नहीं है। उल्लू मुख्य रूप से जीवित शिकार करते हैं, जैसे कि चूहे, कीड़े और छोटे पक्षी।

उल्लू अंधे होते हैं: उल्लू अंधे नहीं होते हैं, बल्कि उनकी रात की दृष्टि बहुत तेज होती है।

उल्लू बुरी नजर वाले होते हैं: यह एक अंधविश्वास है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

कुछ और रोचक तथ्य

उल्लू अपनी गर्दन को लगभग 270 डिग्री तक घुमा सकते हैं। उल्लू की आंखें उनके सिर में बहुत गहराई तक होती हैं, इसलिए वे अपनी आंखें नहीं घुमा सकते हैं।

शिकारी: उल्लू एक कुशल शिकारी है। इसकी तीखी चोंच और मजबूत पंजे शिकार को पकड़ने और फाड़ने में मदद करते हैं।

शांत उड़ान: उल्लू बहुत चुपचाप उड़ता है, जिससे यह शिकार को आसानी से पकड़ सकता है।

विभिन्न प्रकार: दुनिया में उल्लू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो आकार और रंग में भिन्न होती हैं।

उल्लू से जुड़ी कुछ लोकप्रिय कहावतें 

“उल्लू सी आंखें करके बैठना” – इसका मतलब है कि बिना कुछ किए या सोचे-समझे बैठना।

“उल्लू बनना” – इसका मतलब है कि मूर्ख या बेवकूफ बनना।

ये सभी मिथक और मान्यताएं समय के साथ विकसित हुई हैं और विभिन्न संस्कृतियों के विश्वासों और परंपराओं को दर्शाती हैं।

आज के समय में, उल्लू को एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र के रूप में देखा जाता है। वे कीटों और छोटे स्तनधारियों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

उल्लू के बारे में फैले मिथकों और अंधविश्वासों के कारण इन पक्षियों का शिकार किया जाता है, जिससे उनकी संख्या में कमी आ रही है। इसलिए, हमें उल्लू के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और इन पक्षियों की रक्षा के लिए प्रयास करने चाहिए।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मिथक विभिन्न संस्कृतियों और समय के साथ विकसित हुए हैं। ये सब केवल मान्यताएं और धारणाएं हैं। उल्लू वास्तव में बहुत ही बुद्धिमान पक्षी होते हैं। उनकी शिकार की क्षमता, याददाश्त और सामाजिक व्यवहार उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाते हैं। अंत में, उल्लू को कैसे देखा जाता है, यह उस संस्कृति और समय पर निर्भर करता है।

(लेखक : पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)

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