जुबिली न्यूज डेस्क
मध्य प्रदेश के खरगोन में मुस्लिम घरों को तोड़े जाने की घटना में एक अजीबोगरीब मोड़ आया है। साकेत गोखले की आरटीआई के जवाब में मिले तथ्यों के मुताबिक, मप्र के खरगोन में सरकार द्वारा “पत्थरबाजी के आरोपियों” के घर होने के आरोप में मुस्लिम घरों को तोड़े जाने की घटना में कुछ अजीब तथ्य सामने आए है।
आरटीआई के जवाब में जिला मजिस्ट्रेट खरगोन ने बताया है कि, उनके कार्यालय द्वारा कोई ध्वस्तीकरण आदेश जारी नहीं किया गया था।
डीएम का यह भी दावा है कि ध्वस्तीकरण अभियान केवल “अनधिकृत अतिक्रमण” के लिए था, जो कि सच नहीं है। सच तो यह है कि, खरगोन में घरों को भूमि राजस्व अधिनियम, 1959 के तहत ध्वस्त किया गया है।
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डीएम भू-राजस्व मामलों के प्रभारी अधिकारी होते हैं। यदि, डीएम ने यह आदेश जारी नहीं किये हैं तो फिर यह आदेश किसने जारी किया है ?
एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया था कि कथित “पत्थरबाजी के आरोपियों” के घरों को ध्वस्त कर दिया गया है। अब डीएम, इस पर यू-टर्न ले रहे हैं और कहते हैं कि केवल “अनधिकृत घरों” को तोड़ा गया, लेकिन डीएम का यह भी दावा है कि जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया था।
मुस्लिम घरों का यह ध्वस्तीकरण, स्पष्ट रूप से अवैध और कानून के प्रविधानों के विपरीत किया गया कार्य था और सरकार अब, आलोचना और कानूनी रूप से घिरने के बाद, बकवास कर रही है और वह, स्पष्ट रूप से कानून के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पाई गई है।
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साकेत ने कहा है कि वे इस मसले को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।