Wednesday - 30 October 2024 - 4:23 PM

कीनिया के राषट्रपति ने हिंसक प्रदर्शन के बाद विवादित वित्त बिल को लिया वापस

जुबिली न्यूज डेस्क 

कीनिया में आखिरकार कई दिनों तक चले प्रदर्शनके बाद सरकार को झूकना ही पड़ा है। कीनिया के राष्ट्रपति ने कहा कि वो विवादित वित्त बिल को वापस लेंगे. जिस विल में टैक्स बढ़ोतरी के प्रवधान थे। ये फैसला राष्ट्रपति रुतो ने कीनिया में हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए लिया है।

राष्ट्रपति रुतो ने कीनिया के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि  ये तो साफ हो गया है कि यहां के लोगों को इस बिल से कुछ नहीं चाहिए था। बिल पर हस्ताक्षर कर इसे कानून की शक्ल न देने की बात कहते हुए रुतो ने कहा, ”मैं हार मानता हूं.”

बता दे कि कीनिया में सरकार के नए वित्त बिल को लेकर  विवाद छिड़ा हुआ था। जिसको लेकर कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन भी हुए लेकिन हद तब बढ़ गई जब  संसद में इसके पास होते ही प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया.

हिंसक प्रर्दशन में 22 लोगों की मौत 

बीते मंगलवार के हिंसक प्रदर्शनों में 22 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई. राष्ट्रपति रुतो ने कहा है कि वो अब देश के उन युवाओं से बातचीत करेंगे, जिन्होंने साल 2022 के बाद से अब-तक के सबसे बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व किया. देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों के बावजूद कीनिया की संसद ने विवादित वित्त बिल को पास किया था. बिल के पास होने के बाद प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और प्रदर्शनकारी संसद में भी घुस गए थे, जहां उन्होंने आगज़नी की थी.

लोगों के विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति ने बिल वापस लिया 

शुरुआत में राष्ट्रपति रुतो भी सख्ती से इन प्रदर्शनों से निपटते नज़र आ रहे थे. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सेना तक को लगाया गया था. हालांकि लोगों के भारी विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति नरम हुए और बिल वापसी का एलान किया.

सरकार ने जो बिल पेश किया था उसका मकसद देश पर लदे 80 बिलियन डॉलर के कर्ज़ को कम करना था, इससे कीनिया के सालाना टैक्स पर प्रभाव पड़ता है. रुतो ने कहा कि नए प्रावधान किसानों, छात्रों और शिक्षकों के लिए लाभकारी साबित हो सकते थे लेकिन उन्होंने माना कि लोग उनके साथ खड़े नहीं थे. उन्होंने कहा कि ”मैं लोगों का नेतृत्व करता हूं और उन्होंने अपनी बात कह दी है.”

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कीनिया में सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है कि मौजूदा प्रदर्शन जारी रहने वाले हैं. पहले इन प्रदर्शनों का मकसद था कि राष्ट्रपति विवादित वित्त बिल पर हस्ताक्षर न करें लेकिन अब मांग की जा रही है वो इस्तीफ़ा दे दें.

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