अविनाश भदौरिया
दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली वालों को तोहफा दिया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ये फैसला किया गया है कि दिल्ली की अवैध कॉलोनियों को नियमित किया जाएगा।
करीब 40 लाख लोगों को इस फैसले से लाभ मिलने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस विषय में जानकारी देते हुए बताया कि, कैबिनेट ने दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख लोगों को मालिकाना हक देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।
केंद्र के इस फैसले के साथ ही दिल्ली की सियासत गरमा गई है। राज्य के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केन्द्रीय कैबिनेट के इस फैसले के बाद तुरंत एक्शन लेते हुए यह बताने की कोशिश की कि अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने के लिए उन्होंने लम्बा संघर्ष किया है।
उन्होंने कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। हम लंबे समय से इसकी लड़ाई लड़ रहे थे। इसके लिए केंद्र सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने प्रस्ताव 2015 में भेजा था और लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में थे। 24 जुलाई 2019 को ड्राफ्ट पर अपने सुझाव दिए थे। हालांकि हमारे पास अभी सारे डिटेल्स नहीं हैं, जब आएंगे तो आपको बताएंगे। अब आगे देरी ना हो, आगे के कदम भी जल्द उठाये जाएं। हाथ मे रजिस्ट्री आने पर ही लोग मानेंगे कि कॉलोनी पक्की हुई है। हमने नियमित होने का इंतज़ार किये बिना 5 साल में 6 हज़ार करोड़ इन कॉलोनी में निवेश किया। पानी, सीवर, सड़क नालियां बनवाई हैं।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि, जैसे ही संसद में बिल पास होगा, दिल्ली सरकार रजिस्ट्री का काम शुरू कर देगी।
क्रेडिट लेने को लेकर AAP और BJP में घमासान होने की संभावना
बता दें कि अरविन्द केजरीवाल सरकार लगातार शिक्षा, बिजली, चिकित्सा जैसे स्थानीय मुद्दों पर बढ़त बनाए हुए है जिसके चलते उनकी सत्ता में वापसी की चर्चाएं हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने अवैध कालोनियों को नियमित करने का मास्टर स्ट्रोक चलकर दिल्ली सरकार को टक्कर देने का प्लान बनाया है। वहीं केजरीवाल सरकार ने इस मुद्दे को लेकर अपने प्रयासों को बताकर यह बताने की कोशिश की है कि दिल्ली का विकास उनकी प्राथमिकता में है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच क्रेडिट लेने के लिए घमासान देखने को मिलेगा।
दरअसल दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी कशमकश में है कि चुनाव राष्ट्रीय मुद्दे पर लड़े या स्थानीय मुद्दे पर। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि दिल्ली में जिस तरह केजरीवाल सरकार ने स्थानीय मुद्दों को लेकर काम किया है उसके बाद अन्य राज्यों की तुलना में यहां राष्टवाद का जादू चल पाना मुश्किल दिख रहा है।
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