न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के अपने अंतिम चरणों में है। सभी दलों ने 23 मई को आने वाले परिणाम से पहले अपना आकलन करना शुरू कर दिया है। इस बीच बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बना 21 दलों का विपक्षी कुनबे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
सूत्रों की माने तो रिजल्ट आने से पहले 21 मई को विपक्ष की होने वाली बैठक में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी किनारा कर सकती हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में मायावती के गठबंधन के साथी समाजवादी पार्टी (सपा) अखिलेश यादव भी इस बैठक को टाल सकते हैं।
हालांकि खबर है कि टीआरएस नेता और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव आज चेन्नई में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से मिलेंगे। सूत्रों की माने तो इस दौरान तीसरे फ्रंट के भविष्य के बारे में चर्चा हो सकती है।
सूत्रों के हवाले से बताया कि आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ममता बनर्जी से मिलने पश्चिम बंगाल गए थे। यहां उन्होंने विपक्ष की बैठक के बारे में चर्चा की। लेकिन ममता चुनाव के बाद बैठक को तैयार नहीं थीं। उनका कहना था कि जब तक चुनाव के नतीजे नहीं आ जाते हैं तब तक बैठक की कोई भी जरूरत नहीं है। इसके अलावा मायावती का भी कुछ ऐसा ही कहना था।
विपक्षी दल पहले ही किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहते हैं। अगर रिजल्ट के बाद उनकी अच्छी सीटें आती हैं और सरकार बनाने को लेकर उनकी बड़ी भूमिका होती है तो ऐसे में ये दल गेंद अपने ही पाले में रखना चाहते हैं। नतीजों से पहले ही कोई कमिटमेंट नहीं करना चाहते।
विपक्षी दल अब खुद गेम चेंजर की भूमिका में खुद को देख रहे हैं। इसीलिए उन्होंने अब कांग्रेस से लगातार दूरी बनानी शुरू कर दी है। एनडीए को बहुमत हासिल नहीं हुआ तो ऐसी स्थिति में मायावती, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी कोई बड़ा फैसला ले सकती हैं।
21 मई को होने वाली बैठक का नेतृत्व कांग्रेस को ही करना था। लेकिन अब विपक्षी दलों के मुंह फेरने वाली बात से कहीं न कहीं कांग्रेस को झटका लग सकता है।
बताते चले कि मायावती और अखिलेश पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पर लगातार हमले बोलते आए हैं। दोनों ने ही कांग्रेस को बीजेपी की ही तरह बताया। उनका कहना है कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह विपक्षी पार्टियों को दबाने का काम करती है। अखिलेश यादव ने तो ये तक कह दिया था कि बीजेपी को कांग्रेस ने ही ये सब करना सिखाया है।