जुबिली न्यूज डेस्क
आज जन्माष्टमी का त्योहार है। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 19अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि यानी 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. जन्माष्टमी पर्व को लेकर मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को सजाया गया है। जन्माष्टमी का पर्व अलग-अलग जगह पर अलग तरीके से मनाया जाता है। वहीं कश्मीरी पंडित जन्माष्टमी को बेहद ही अनोखे तरीके से मनाते है।
बता दे कि कश्मीरी पंडित अष्टमी के 1 दिन पहले ही जन्माष्टमी मनाते हैं। इसी दिन व्रत भी रखा जाता है और पूरे दिन कृष्ण की भक्ति की जाती है। मंदिरों में कान्हा के बाल स्वरूप को झूला झुला कर स्वागत किया जाता है।
जन्माष्टमी के दिन निकाली जाती है झांकियां
कश्मीर में जन्माष्टमी के दिन झांकियां निकाली जाती थीं। सभी लोग सुबह से शाम तक इन झांकियों में ही कान्हा के दर्शन किया करते थे। 1990 की त्रासदी के बाद यह सब खत्म होने लगा. हालांकि झांकियां तो आज भी निकलती हैं, लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रही।
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ऐसे करते है कान्हा का स्वागत
मंदिर में कश्मीरी गीतों के बीच पूरा माहौल कृष्णमयी हो गया. खास कश्मीरी भजनों के साथ श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की गई. मंदिर परिसर में कश्मीरी समाज के लोग ने इकट्ठा होकर जन्मोत्सव को हर्षोल्लास से मनाया। मंदिर में झूले पर बाल गोपाल की प्रतिमा भी रखी गई थी, यहां आने वाले भक्त बाल गोपाल को झूला झुलाकर आशीर्वाद ले रहे थे।
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