न्यूज़ डेस्क
कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन शैव और वैष्णव दोनों ही सम्प्रदायों के लोगों में बराबर महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसके अलावा विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। यही नहीं इस खास दिन के मौके पर गुरुनानक देव का जन्म भी हुआ था। इसे प्रकाश और गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से ग्रहों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा 12 नवंबर को यानी आज है।
शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 12 नवंबर 2019 से हो रही है।पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 नवंबर से शाम छह बज कर दो मिनट से हो रही है। वहीं समापन 12 नवंबर को शाम सात बजकर चार मिनट पर होगी।
जाने कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस दिन विशेष विधि से जो लोग पूजा-अर्चना करते है तो समस्त देवी-देवता आसानी से प्रसन्न हो जाते है। इस दिन पूरी विधि और मन से भगवान की आराधना करने से घर में धन और वैभव की प्राप्ति भी होती है।
साथ ही मनुष्य को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करने पर जन्मपत्री के सभी ग्रहदोष दूर हो जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल इसके पीछे ऐसा माना जाता है कि त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस ने प्रयाग में एक लाख साल तक घोर तप किया था। उसके घोर तप से ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उसे दीर्घायु का वरदान दिया।
इससे त्रिपुरासुर में अहंकार आ गया। इसके बाद वह स्वर्ग के कामकाज में बाधा डालने लगा व देवताओं को आए दिन तंग करने लगा। इसेक बाद भगवान शिव ने उसका वध किया था।