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कर्नाटक में कब होगा धनुष भंग

सुरेंद्र दुबे

महाकवि गोस्‍वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस दुनिया का सबसे चर्चित धर्मग्रंथ है। इस धर्मग्रंथ को जन-जन तक चर्चित कराने के लिए तुलसीदास ने रामलीला के मंचन का सहारा लिया था। रामचरितमानस के नाम से देश और दुनिया में करोड़ों लोग परचित हैं।

हालांकि, रामचरितमानस का अध्‍ययन करने वाले लोगों की संख्‍या तुलनात्‍मक रूप से कम है। अधिकांश लोग रामचरितमानस या भगवान राम के बारे में रामलीला देखने के कारण ही जानते हैं और उसमें सबसे चर्चित प्रसंग है धनुष भंग। इसलिए तमाम रामलीलाएं राम जन्‍म से शुरू होकर ‘धनुष भंग’ पर समाप्‍त हो जाती हैं।

राजनीति की रामलीला में भी धनुष भंग ही सबसे महत्‍वपूर्ण लीला है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान लोकतंत्र की रामयण है जिसके प्रावधानों के तहत सरकार का गठन रूपी ‘धनुष भंग’ इसकी सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण लीला है। रामलीला में जैसे जब भगवान राम धनुष तोड़ देते हैं तो सीता जी उनको वरमाला पहना देती हैं और दोनों का विवाह हो जाता है।

इसी तरह राजनीति की रामलीला में जो नेता धनुष रूपी बहुमत प्राप्‍त कर अनिश्चितता भंग कर देता है सरकार उसी की हो जाती है। बस इस विवाह में अगर बीच में संबंध खराब हो जाते हैं तो समय-समय पर ‘धनुष भंग ‘ की लीला कराते रहना पड़ता है। अब सतयुग की बात छोड़ दें कलयुग में तो आम विवाह में भी कई बार ‘धनुष भंग’ की लीला होती है।

कर्नाटक में 17 मई 2018 को कुमारस्‍वामी ‘धनुष भंग’ लीला के बाद प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे। वहां जबसे सरकार बनी है तबसे राजनैतिक विवाह में दिक्‍कतें चल रही थी। यहां कांग्रेस और जेडीएस की  मिलीजुली सरकार है और कांग्रेस के 16 विधायक भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा का वरण करने के लिए मुंबई के एक पांच सितारा होटल में आराम फरमा रहे हैं। अब जब शादी खतरे में पड़ गई तो तय पाया गया कि ‘धनुष भंग’ का खेला फिर से खेला जाए।

पिछले एक माह से ‘धनुष भंग’ के लिए मंच सजा हुआ है। विधान सभा स्‍पीकर पुरोहित की भूमिका में आसीन हैं पर कुमारस्‍वामी ‘ धनुष भंग’ के लिए तैयार नहीं हैं। वह चाहते हैं कि स्‍पीकर लगातार ‘धनुष भंग’ का कार्यक्रम आगे बढ़ाते रहें ताकि किसी न किसी तीन तिकड़म से बागी कांग्रेस विधायक उनके पाले में लौट आएं।

पुरोहित बेचारे क्‍या कर सकते हैं उनका काम तो विवाह कराना है। पुरोहित चूंकि वर पक्ष का ही है इसलिए वह लगातार दबाव बनाए हुए है कि चाहे बागी विधायक आयोग्‍य घोषित किए जाने के डर से ही रामलीला मैदान में आ जाएं। ताकि ‘धनुष भंग’ कराकर कुमार स्‍वामी की दुबारा शादी करा दी जाए।

दूसरी ओर भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा खुद शादी करने के मुड में हैं इसलिए वेडिंग गाउन पहने रामलीला मैदान में सहबालाओं के साथ डटे हुए हैं। उनकी तरफ से प्रदेश के राजा राज्यपाल वजुभाई वाला दो बार पुरोहित (स्‍पीकर) रमेश कुमार को जल्‍दी से धनुष भंग कराने की चिट्ठी लिख चुके हैं पर पंडित जी मानते ही नहीं। कल आधी रात तक कर्नाटक विधानसभा में हंगामा होता रहा।

बीएस येदियुरप्पा विश्‍वास मत पर मतदान कराने के लिए डटे रहे पर कुमारस्‍वामी वोटिंग के लिए तैयार नहीं हुए। इसलिए ‘धनुष भंग’ की लीला फिर रूक गई। पुरोहित ने कांग्रेसी विधायकों को आज 23 जुलाई को विधानसभा में उपस्थि‍त होने का समन भेज दिया और इसके साथ ही 23 जुलाई ही ‘धनुष भंग’ लीला की आखिरी तारीख तय कर दी। हो सकता है आज शाम छह बजे तक रामलीला समाप्‍त हो जाए।

कर्नाटक में आज फ्लोर टेस्ट होना है लेकिन कांग्रेस विधायक ईश्वर कांद्रे ने मांग की है कि वोटिंग को 4 हफ्ते के लिए टाल देना चाहिए, ताकि अगर बागी विधायक समय मांग रहे हैं तो उन्‍हें भी वोटिंग का हक मिल सके। कांग्रेस के कुछ बागी विधायक आज स्‍पीकर के सामने पहुंचे भी थे, जिन्‍होंने कहा कि वे लोग अभी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतेजार करेंगे।

इस पूरी लीला को देखने से पता चलता है कि ‘धनुष भंग’ अभी इतना आसान नहीं है। स्‍पीकर महोदय बागी विधायकों के संबंध में कोई न कोई निर्णय लेने के मूड में दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे न करने का निर्देश दे चुकी है। पर स्‍पीकर स्‍वयं भी एक अदालत ही है तो देखना होगा कि एक अदालत दूसरी अदालत की बात मानती है या नहीं या फिर कोई नई जुगत भिड़ाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में आने या न आने के लिए बाध्‍य नहीं किया जाएगा। पर यह अब कोई बाधा नहीं दिख रही है क्‍योंकि कुछ बागी विधायक आज ही स्‍पीकर से मिले थे। स्‍पीकर से मिलना भी एक तरह से विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होना है इसलिए विधानसभा स्‍पीकर की सार्वभौम सत्‍ता ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए संवैधानिक रूप से सक्षम है। सो अदालत की अवमानना का कोई मामला बनता नहीं दीखता।

परिस्थितियां लगातार बदल रहीं हैं। रामलीला के कर्ताधर्ता दौड़ भाग में लगे हैं। कुमारस्‍वामी भी पीयरी पहने दूसरी शादी करने के लिए आतुर है। भाजपा नेता येदूरप्‍पा कुछ बागी कांग्रेसी विधायकों के स्‍पीकर के पास जाने से सशंकित है,  क्‍योंकि बागी विधायकों के रूप में कुछ सहबाला कुमारस्‍वामी के पास बढ़ गए हैं।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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