18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती को लेकर कर्नाटक में एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। कर्नाटक में सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कन्नड़ और संस्कृति विभाग को टीपू सुल्तान जयंती न मनाने का आदेश दिया है। इससे पहले कर्नाटक में जब कांग्रेस-जेडीएस की सरकार थी, तो ये समारोह काफी धूमधाम से मनाया जाता था। टीपू सुल्तान की जयंती हर साल 10 नवंबर को मनाई जाती है
Former Karnataka CM and Congress leader Siddaramaiah on Karnataka govt order to not celebrate Tipu Jayanti: I only started Tipu Jayanti celebrations. According to me, he was the first freedom fighter in the country. BJP people are not secular. pic.twitter.com/80ny4pnDIc
— ANI (@ANI) July 30, 2019
वहीं, कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि टीपू सुल्तान देश के पहले फ्रीडम फाइटर थे। दरअसल, राज्य में टीपू जयंती का मुद्दा पहले से गर्म रहा है और भारतीय जनता पार्टी अक्सर इसका विरोध करती रही है। बीजेपी टीपू सुल्तान को कट्टर मुस्लिम शासक बताती है। बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि टीपू सुल्तान ने मंदिर तोड़े और बड़े पैमाने पर हिंदुओं का धर्मांतरण कराया।
पिछले साल भी कांग्रेस-जेडीएस सरकार के दौरान इस जयंती को धूमधाम से मनाया गया था। कांग्रेस के सिद्धारमैया कई जगह कार्यक्रम में शामिल भी हुए थे और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना भी साधा था। सिद्धारमैया का कहना था कि राज्य में महापुरुषों की जयंती मनाने की रस्म पहले से चलती आई है, हम भी उसी प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं।
हालांकि, पिछले बार जयंती पर हुए विवाद के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। जबकि साल 2014 की गणतंत्र दिवस परेड में टीपू सुल्तान को एक अदम्य साहस वाला महान योद्धा बताया गया था।