जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। देश में इस वक्त चुनावी माहौल चल रहा है। दरअसल इस साल देश के कई राज्यों में विधान सभा चुनाव होना है। इसको लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है।
जहां बीेजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस लगातार विपक्षी एकता को मजबूत करने की बात कर रही है तो बीजेपी मोदी के सहारे कई राज्यों में फिर से सत्ता में वापसी का सपना पाल रखा है।
इस वक्त सबसे नजदीक कर्नाटक विधान सभा चुनाव है। इसको लेकर बीजेपी से लेकर कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।
राज्य में एक चरण में 10 मई को मतदान होगा। नतीजे 13 मई को आ जायेंगे। इसको लेकर बीजेपी ने अपने उम्मीदावारों का चयन करना शुरू कर दिया है।
इस बार बीजेपी काफी सतर्क लग रही है क्योंकि कांग्रेस पार्टी कड़ी चुनौती दे रही है। बीजेपी ने कल मीडिया के सामने आई थी और 189 उम्मीदवारों के नामों का खुलासा किया है।
अगर इन नामों की लिस्ट पर गौर करें तो ये काफी पढ़े लिखे उम्मीदवारों को इस बार बीजेपी चुनावी मैदान पर उतार रही है। इतना ही नहीं बीजेपी की इस लिस्ट में आम आदमी पार्टी की छाप देखी जा सकती है।
ऐसे में राजनीति के जानकारों की माने तो बीजेपी ने आम आदमी पार्टी से बहुत कुछ सीखती हुई नजर आ रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी भी उन्हीं उम्मीदावारों को टिकट देती है जो पूरी तरह से पढ़े लिखे होते हैं।
राजनीति में ये कोई नई बात नहीं है। अक्सर बड़े दल छोटे दलों से सीखते हैं और अच्छी चीजों का ग्रहण करते हैं। कर्नाटक में भाजपा ने आम आदमी पार्टी के फार्मूले को पूरी तरह से कॉपी कर लिया है।
कर्नाटक में टिकट बंटवारा में पूरी तरह आम आदमी पार्टी की छाप दिख रही है। बीजेपी ने अब 50 से ज्यादा उम्मीदवारों को टिकट दिया जो पढ़े लिखे है।
बीजेपी की ये रणनीति इसलिए अहम क्योंकि कर्नाटक में जातियों के आधार पर चुनावी रणनीति अपनायी जाती है। ऐसे में कर्नाटक में जातियों के आधार पर होने वाले वोटिंग पैटर्न पर ध्यान ना देते हुए बीजेपी ने शिक्षित लोगों पर दांव लगाया है। जो एक अपने आप में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। बीजेपी पूरी तरह से फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। हाल में गुजरात चुनाव में उसने 25 प्रतिशत सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया था।
इतना ही नहीं इस दौरान नये चेहरों पर दांव लगाया गया। यही चेहरों ने गुजरात में सरकार भी बनवाई है। ऐसे में वही रणनीति बीजेपी ने कर्नाटक में अपनाने का मन बना लिया है।
बीजेपी ने अपनी पहली सूची में 52 सिंटिंग विधायकों का टिकट काटने में देर नहीं की है और नये चेहरों के सहारे जीत का दम भरा है। इसमें जिन लोगों को बीजेपी ने टिकट दिया है उनमें 9 डॉक्टर है,वकील 5 हैं।पोस्ट ग्रेजुएट की संख्या 31 है।
एकेडमिक लोगों की संख्या 3 है। सामाजिक सेवा से जुड़े लोगों की संख्या 8 है। तीन रिटायर सरकारी लोग हैं। जबकि एक रिटायर आईएएस और एक रिटायर्ड आईपीएस हैं।
अगर बीजेपी के अब तक इतिहास पर गौर करें तो ये पहली बार हो रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में पढ़े लिखे लोगों को चुनावी दंगल में उतारा जा रहा है।
2018 में किसे कितना मिला था वोट?
- कुल सीटें: 224, बहुमत- 123
- पार्टी सीटें वोट%
- बीजेपी 104 36.35
- कांग्रेस 80 38.14
- जेडीएस 37 18.3
नोटिफिकेशन की तारीख 13 अप्रैल
- नामांकन की आखिरी तारीख 20 अप्रैल
- नामांकन की स्क्रूटनी 21 अप्रैल
- नामांकन वापस लेने की तारीख 24 अप्रैल
- मतदान 10 मई
- नतीजे 13 मई
हालांकि कर्नाटक में ओबीसी, एससी,एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों का प्रतिशत 60 के आसपास है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 40 प्रतिशत दलितों का वोट हासिल किया जबकि कांग्रेस के खाते में 37 प्रतिशत और जेडीएस को दलितों के 18 प्रतिशत वोट हासिल करने में कामयाब रही थी।
वहीं अगर ओबीसी की बात करें तो भाजपा को 52 प्रतिशत ओबीसी की वोट हासिल कर सबको चौंका दिया था जबकि कांग्रेस को 24 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि जेडीएस को 14 प्रतिशत वोट संतोष करना पड़ा था।