जुबिली न्यूज ब्यूरो
लखनऊ। अशरे के शुरूआती दौर में गमे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम में मजलिस और मातम का सिलसिला जारी है अजादार और मरकजे अजादारी लखनऊ में आयोजित होने वाली तमाम मजलिस में शिरकत कर अपने आंसू से हजरत रसूल खुदा और उनकी एकलौती बेटी हजरत फातिमा जैहरा को पुरसा पेश कर रहे हैं। बुधवार की मजलिस में जहां इत्तेहाद, अम्न और भाई चारा के पैगाम के साथ दहशतगर्दी के खिलाफ जिहाद, इमाम हुसैन और शोहदाए कर्बला के फजायल, औनो-मोहम्मद और जौन अलैहिस्सलाम के मसायब बयान किए गए। जिसे सुनकर अज़ादार गमजदा हो गए।
इमामबाड़ा गुफरानमॉब में मजलिस को खिताब कर रहे मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद ने कहा कि इस्लाम अगर किताब की शक्ल में हो तो कुरान है और अगर अमल की सूरत में हो तो अहलेबैत है इसलिए कुरान और अहलेबैत से वाबस्तगी जरूरी है। मौलाना ने मजीद खिताब करते हुए आखिर में शोहदा-ए-कर्बला में जनाबे जौन अ.स. के मसायब बयान किए। जनाबे जौन अ.स. नुसरते हजरत इमाम हुसैन अ.स. करते कर्बला के मौदान में अपनी जान कुर्बान करने के दिलसोज मसायब को सुनकर अज़ादार जारोकतार रोने लगे।
इमाम बाड़ा आगा बाकर में इताअत के उन्वान के अशरए मजलिस को मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि ईमान और अमल ऐसे जुड़वा भाई है जो एक दूसरे के बगैर जिंदा नहीं रह सकता। मौलाना ने कहा कि आले मोहम्मद की पसन्द का नाम है हलाल और जिसे आले मोहम्मद नापसन्द करे उसका नाम है हराम। मौलाना ने विस्तृत खिताब करते हुए आखिर में कर्बला के शहीदों की फेहरिस्त से औनो मोहम्मद के मसायब को बयान किया तो मजलिस में भारी संख्या में उपस्थित इमाम के चाहने वाले फूट-फूट कर रोने लगे।
राजधानी के पुराने लखनऊ स्थिति इमामबाड़ा मीर बाकर सौदागर में अशर-ए-मजलिस को सम्बोधित कर रहे मौलाना सैय्यद अली सज्जाद नासिर ने कहा कि कर्बला मामता का मकतल है। उन्होंने कहा कि नाना के दीन को बचाने के लिए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कर्बला में कुर्बानियां पेश करके पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि कभी भी ज़ालिम के आगे सर न झुकाना चाहे इसके लिए जो भी क़ुरबानी देनी पड़े। मौलाना ने विस्तृत सम्बोधन करते हुए आखिर में औनो मोहम्मद के मसायब को पढ़ा तो अजदार जारोकतार रोने लगे।
इसके अलावा मदरसा नाजमिया में मौलाना सैय्यद हमीदुल हसन, शिया पीजी कालेज में सईदुल मिल्लत हाल में मौलाना सैय्यद अब्बास नासिर, विक्ट्रोरिया स्ट्रीट स्थिति अफजल महल में मौलाना सैय्यद अफजल रिजवी नज़फी ने मजलिसों को खिताब किया। इसके अलावा भी शहर में अन्य इमामबाड़ों और अज़ाखानों मे मजलिसें हुई, जिसमें अज़ादरों ने शिरकत कर कर्बला के शहीदों को याद किया।
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