न्यूज डेस्क
भारतीय सिनेमा जगत के दिग्गज स्टार राज कपूर की यादों से जुड़ा आर के फिल्म स्टूडियो बिक गया। शुक्रवार को गोदरेज प्रॉपर्टीज़ ने माने जाने आर के स्टू़डियो को खरीद लिया। रणधीर, राजीव और ऋषि कपूर के पास इस स्टूडियो का साझा मालिकाना हक था और आर के फिल्म की कई फिल्मों की शूटिंग यहां हुई थी। लेकिन वक़्त के साथ मुंबई से दूरी के चलते यहां फिल्मों की शूटिंग का काम कम होता चला गया।
जानकारी के अनुसार दो साल पहले जब आरके स्टूडियो में अचानक आग लग गई थी उसके बाद कपूर खानदान ने इस ऐतासिहिक धरोहर को बेचने का मन बना लिया था। पिछले एक साल से वह किसी ऐसे खरीददार की तलाश कर रहे थे, जो स्टूडियो की अच्छी कीमत दे सके।
आरके स्टूडियो को गोदरेज समूह की फर्म गोदरेज प्रॉपर्टीज ने खरीद लिया है। स्टूडियो को खरीदने की जानकारी गोदरेज कंपनी ने जरूर दी है, लेकिन उन्होने डील की वैल्यू के बारें में कोई खुलासा नहीं किया है।
स्टूडियो बदल जाएगा लग्जरी फ्लैट में
गोदरेज समूह ने जानकारी दी है कि स्टूडियो की 33000 स्क्वेअर फीट जमीन का इस्तेमाल लग्जरी फ्लैट बनाने में किया जाएगा। कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन फिरोजशाह गोदरेज ने बताया कि चेंबूर के इस ऐतिसाहिक धरोहर को कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो मे शामिल किया है।
ऐसे पड़ी थी आर के स्टूडियो की नीव
राज कपूर ने 22 साल की उम्र में फिल्म ‘आग’ बनाई थी, जो बुरी तरह से फ्लॉप गयी उसके कुछ समय बाद ही उन्होंने फिल्म ‘बरसात’ की शूटिंग शुरू कर दी। जब काम शुरू हुआ तब फिल्म ‘आग’ के म्यूजिक डायरेक्टर जोकि राम गांगुली थे, के साथ बैठकर उन्होंने तीन धुनें फाइनल कर दी थीं, लेकिन रिकॉर्ड नहीं की थीं। हालांकि धुनें यहीं होंगी यह तय कर दिया था।
उसके बाद राम गांगुली को शायद राज कपूर पर भरोसा न था इसीलिए उन्होंने धुन दूसरे निर्माता को दे दी। राज कपूर को यह बात पता चली तो इस पर वे नाराज नहीं हुए और न ही गांगुली से लड़ने गए। बल्कि उन्होंने अखबार में घोषणा कर दी की उनकी फिल्म बरसात का संगीत शंकर जयकिशन देंगे जो पृथ्वी थिएटर में नाटक का पार्श्व संगीत देते थे और राम गांगुली के सहायक थे।
थिएट्रिकल इनकम से खरीदी ज़मीन
उन्होंने शंकर-जयकिशन को मौका देकर कई स्थापित संगीतकारों को झटका दिया था। बहुत जल्द ‘बरसात’ के गाने तैयार हुए। आलम यह था कि म्यूजिक की जो रॉयल्टी मिली उससे ही फिल्म ‘बरसात’ की लागत मिल गई। ‘बरसात’ को जो थिएट्रिकल इनकम हुई उससे राजकपूर ने चेंबूर में 2.2 एकड़ की जमीन आरके स्टूडियो के लिए खरीदी।
चेंबूर में जमीन खरीदने की वजह यह थी कि उस समय वहां पहाड़, हरियाली के साथ ही वीरानी का माहौल था। यह 1948 की मुंबई थी। आउटडोर शूटिंग के लिए दस कदम बाहर निक कर पहाड़ और जंगल मिल जाते थे। बताया जाता है कि उस जमाने में शेर, चीते भी घूमते थे। आज ही तरह घनी बस्तियां वहां नहीं थी। 1948 में बने इस स्टूडियो ने दर्शकों को ‘बरसात’, ‘आवारा’ और ‘बूट पॉलिश’ जैसी फिल्में दीं हैं।