Monday - 28 October 2024 - 12:02 PM

वेंटीलेटर पर आ गई कनपुरिया लेदर इंडस्ट्री

न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। देश के बड़े लेदर हब के रूप में जाना जाने वाला कानपुर-उन्नाव को कोरोना वायरस ने गहरी चोट पहुंचाई है। मार्च से जून का ऑर्डर पूरा न कर पाने के कारण जुलाई से सितंबर के ऑर्डर भी हाथ से निकल गए है।

कनपुरिया लेदर के सबसे बड़े बाजार यूरोप और अमेरिका के 50% ऑर्डर कैंसिल का मेल निर्यातकों के पास आ गए हैं। बड़ी बात ये है कि ये आर्डर कैंसिल होने से सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग को समस्या उठानी पड़ेगी।

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लॉकडाउन के कारण बंद टेनरियों में रखा कच्चा चमड़ा यानी रॉ हाइड सड़ने की कगार पर आ गया है। अगर उसे नहीं हटाया गया तो पूरे इलाके में सड़ांध फैलने का खतरा पैदा हो गया है। लेदर का निर्यात तिमाही चलता है।

यूपी स्माल टेनर्स एसोसिएशन कार्यकारिणी के फिरोज आलम की माने तो पिछले ऑर्डर न दे पाने के कारण आगे के भी चले गए। जनवरी से मार्च की तिमाही में 1200 करोड़ का नुकसान हुआ था, जो इस तिमाही 2500 करोड़ हो गया है। यानी पांच महीने में 3700 करोड़ का नुकसान हो चुका है। आगे अभी पता नहीं और कितनी चोट लगने वाली है?

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लॉकडाउन से पहले जाजमऊ की टेनरियों में 12 करोड़ रुपए का रॉ हाइड (कच्ची खाल) रखी थीं, जो 27 दिन से उसी हाल में बंद हैं। इन खालों की संख्या लगभग एक लाख है, जो अब सड़ने लगी हैं। आलम के मुताबिक प्रशासन, एमएसएमई और संयुक्त आयुक्त उद्योग से हमने अनुरोध किया है कि थोड़ा समय दिया जाए ताकि रॉ हाइड को निपटाया जा सके।

एक लेदर टेनरी के एमडी मो. एजाज का कहना है कि हालात बेहद नाजुक हैं और लेदर इंडस्ट्री वेंटीलेटर पर है। यूरोप और अमेरिका से शहर को सबसे बड़ा झटका लगा है। अगर सीमित मात्रा में भी खोलने की अनुमति मिले तो रुके हुए मजदूरों से कुछ काम कराया जा सकता है।

लेदर के आयात निर्यात के एक्सपर्ट जफर फिरोज की माने तो उनका कहना है कि इस साल सर्दियों का सीजन भी ठंडा जाएगा। नवंबर से फरवरी के ऑर्डर पर अभी से 25 फीसदी कैंची चल गई है।

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