Thursday - 31 October 2024 - 6:35 AM

कश्मीरी पंडितों सहित कश्मीरी हिंदू और सिख भी कर रहे हैं 370 हटाने का विरोध

जुबिली न्यूज डेस्क 

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ही कश्मीर के निवासियों में बेचैनी है। सोशल मीडिया में भी जोरदार बहस छिड़ी हुई है । केंद्र के इस कदम के समर्थक इसे कश्मीरी पंडितों के विस्थापन से जोड़ कर भी देख रहे हैं ।

लेकिन अनुच्छेद 370 के हटाने के फैसले के खिलाफ अब जम्मू कश्मीर के हिन्दू भी सामने आने लगे हैं । बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित, डोगरा और सिख समुदाय के लोगों के एक समूह ने एक ज्ञापन साईंन किया है जिसमे कहा गया है कि सरकार ने ये कदम उठाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा किया है. इस पेटीशन के मुताबिक सरकार का ये कदम गैर लोकतांत्रिक, एकतरफा और संविधान के खिलाफ है।

पेटीशन साइनकरने वालों में  प्रोफेसर, थिएटर कलाकार, पत्रकार, डॉक्टर, वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी, छात्र और रिसर्च स्कॉलर शामिल हैं।

न्यूज साईट द क्विंट ने इस ज्ञापन के बारे में लिखते हुए कहा है कि इस पेटीशन में कई मांगे की गई है जिसमे जम्मू-कश्मीर के लोगों का बाहरी दुनिया के साथ कटा हुआ संपर्क जल्द से जल्द वापस लाया जाए, सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों को रिहा किया जाए, और सेना की घेरेबंदी को हटाया जाए ।

ये हैं ज्ञापन का मजमून

हम राज्यविहीन लोग, जो पहले जम्मू-कश्मीर में रहते थे, साफ तौर पर आर्टिकल 370 के हटाए जाने की निंदा करते हैं. हम भारत के लोगों को बता देना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत के साथ इसके लोकतांत्रिक और सेकुलर होने की वजह से आया था.

केवल जम्मू-कश्मीर ही ऐसा राज्य था जिसने 1949 में भारत की संविधान सभा की कार्यवाही के दौरान भारत में मिलने के लिए कुछ शर्तें तय की थी. इसी के बाद आर्टिकल 370 अपने वजूद में आया था.

ऐसे में हम मानते हैं कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला ताकत के दम पर लिया गया है. साथ ही इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ किए गए वादों को तोड़ा गया है और ये असंवैधानिक है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा की राय और मंजूरी लिए बगैर भारत सरकार ने ये फैसला चुपके से लिया है.

हम इस तथ्य को फिर से बताना चाहते हैं कि हमसे कोई बात नहीं की गई और हमारे भविष्य पर हमारी मंजूरी के बगैर लिया गया कोई भी फैसला वैध नहीं हो सकता. हम इस एकतरफा, अलोकतांत्रिक और गैरसंवैधानिक थोपे गए फैसले की निंदा करते हैं.

हम जम्मू-कश्मीर पर लिए गए इस फैसले को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग करते हैं. जो जम्मू-कश्मीर के लोगों पर कम्यूनिकेशन गैग लगाया गया है उसे भी हटाया जाए. कैद किए गए सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों को रिहा किया जाए.

हम अपने गृहराज्य के बंटवारे को लेकर भी दुखी हैं और हम इस इम्तेहान की घड़ी में एकजुट होकर खड़े रहने की मांग करते हैं. हम हर उस फैसले का विरोध करेंगे जो हमें धार्मिक या सांस्कृतिक तौर पर बांटने की कोशिश करेगा.

Radio_Prabhat
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