Monday - 28 October 2024 - 10:04 PM

काहे का तनिष्क..

सामाजिक कार्यकर्त्ता दीपक कबीर समाज की बेहतरी के लिए जिस शिद्दत से सोचते हैं, उतने ही शानदार तरीके से सामाजिक मुद्दों पर कलम भी चलाते हैं. इधर पिछले कुछ दिनों से तनिष्क के एड को लेकर हंगामा मचा है. वरिष्ठ पत्रकार सय्यद कासिम का इस मुद्दे पर कहना है कि जो लोग नाक की कील भी किस्तों पर खरीदते हैं वह तनिष्क का बायकाट करने चले हैं.

इस मुद्दे पर दीपक कबीर के इस आर्टिकल में उन्होंने कुछ नामों के बहाने जिस तरह से हालात की तस्वीर पेश की वह मनभावन है. टूटते-बिखरते हालात में भी कुछ ऐसे लोग हैं जिनके रहने भर से हिन्दुस्तान के बुनियादी ढाँचे को लाख कोशिशों के बावजूद कोई नुक्सान पहुँचने वाला नहीं है. हर मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम से जोड़ देने वालों को यह नजरिया ज़रूर पढ़ना चाहिए.

शादी सियासी एजेंडा नहीं होती

अपने छह दिनी सफ़र से लौटते ही “कृष्णा जी” को फोन किया क्योंकि इस बीच हम सबके बेहद प्यारे उनके पति “विलायत जाफ़री” गुज़र गये थे..उन्होंने शाम की कंडोलेन्स का बताया, कंडोलेन्स में पहुंचते ही मुझसे कहा गया इसका संचालन भी अब तुम्हे ही करना है..

ये पोस्ट विलायत जाफ़री साहेब के बारे में नहीं है..जिन्होंने बरसों पहले विश्व विख्यात नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर की शादी मोनिका मिश्रा से एक मौलवी को पकड़ कर और तफरीह और डांट के साथ करवाई थी क्योंकि न पंडित तैयार था न मौलवी. मोनिका मिश्रा अंत तक मोनिका मिश्र ही रहीं..उन्हें मुमताज नहीं बनना पड़ा,अगर कहती भी तो हबीब साहेब खुद तलाक ले लेते.

कंडोलेन्स के संचालन में मैंने कहा था कि विलायत साहेब से हमे सेंस ऑफ ह्यूमर सीखने की ज़रूरत है.

सत्ता के सामने स्टैंड लेना सीखने की ज़रूरत है. खुद को ड्यूटी के प्रति उसूलन निष्पक्ष रखना सीखने की ज़रूरत है और इन्टरफेथ – इंटरकास्ट शादियां करना सीखने की ज़रूरत है ..

यह तनिष्क के एड के ठीक दो दिन पहले की बात है..

किसी वजह से अगले दिन हम चारों यानी अमित मिश्रा -समन हबीब (पति-पत्नी) मैं और वीना ( जिसकी माँ कनीज़ फ़ात्मा ने MS राना से ‘निकाह’ किया था ) कृष्णा जी के घर गए..

उनके और विलायत साहेब के ड्राइंग रूम में सबसे बड़ी पेंटिंग “शांत बुद्ध “की लगी थी..कॉर्नर में गणेश जी नृत्य भंगिमा में थे ..(विलायत जाफ़री ,दूरदर्शन की एकछत्र सत्ता के दौर में लखनऊ दूरदर्शन के डायरेक्टर थे, लाइट एंड साउंड शो के प्रणेता थे, बढ़ते कदम जैसे ऐतिहासिक शो के सूत्रधार थे और विख्यात नाट्य निर्देशक.)

उनके चारों बच्चे मिले.. अम्बर, रश्मि, चांदनी, हिना..और रश्मि के पति राजेश भी दोस्त ही हैं.

मगर मैं ये सब क्यों बता रहा हूँ…

सफ़दर हाशमी की शादी मलय श्री से होती है तो सफ़दर की बहन की शादी पुष्पेंद्र ग्रेवाल से.

ये सब तो वो कहानियां हैं जो बंटवारे के 10-20 साल बाद के किस्से बयान कर रहे हैं.

वीना की मम्मी गुज़र चुकीं, हबीब तनवीर गुज़र चुके, विलायत साहेब चले गये..

तनिष्क का एड तो अब आया…

उस टाटा का, जिसके खानदान की पारसी लड़की “रत्ती” ने आज़ादी के बहुत पहले सुवर के गोश्त का बर्गर शराब के साथ खुलेआम खाने वाले “जिन्ना” से प्रेम विवाह किया था और हमेशा स्कर्ट ही पहनती रहीं.

मेरी करीबी मुस्लिम दोस्त जो चार बहने हैं उनमें दो की शादी मुस्लिम एक की सिख और एक की हिन्दू से हुई.

शादी सियासी एजेंडा नहीं होती.

जिनकी होती है वो अपनी मज़हब जाति में भी मुनाफे और हिसाब किताब लगा कर करते होंगे.
शादी किसी समुदाय के लिये अपमान का मुद्दा भी नहीं हो सकती. ग़ज़ब शादी यानी खुशी किसी की और कुढ़न -बेइज़्ज़ती तुम्हारी ..मतलब ये तो कमाल है..

ऐसा जता के केवल सियासत की जाती है…

शादी चाहे माँ बाप की मर्ज़ी से करो, अपनी जात धर्म मे करो, दहेज़ दे के करो, तब भी ज़िंदा जलाने, उत्पीड़न की बेशुमार घटनायें सब देख ही रहे हो.. जो ये बकवास कर रहे हैं कि उत्पीड़न होता है, मुसलमान बना दी जाती हैं ..तो आओ ..बीसों घरों में चल के दिखाता हूँ.

प्रॉब्लम अंतर्धार्मिक शादियों में नहीं, प्रेम विवाहों में नहीं..

विचारों – व्यवहारों और उसकी परिपक्वता में है…

तनिष्क का एड अब आया है…

हिंदुस्तान बहुत पहले से इन सबसे बहुत ऊपर था..

जिनको एड से दिक्कत है.. वो अभी सौ साल बाद उस एड तक पहुंचेंगे..

हम अपने अपने घेटो में रहते हैं, वैसे ही परसेप्शन बनते हैं, जो उन दायरों को तोड़ देते हैं उनके नज़रिये बदल कर आकाश हो जाते हैं..,इंसानों में गलत परसेप्शन होना बिल्कुल गलत नहीं…सबमे होते हैं, मुझमें भी थे, मुस्लिम्स में भी होते हैं…बात करिये मुझसे…एक नहीं एक लाख उदाहरण दूँगा साझेपन और मुहब्बत के, त्योहारों के,अकीदे के, आस्था के, नास्तिकता के, सहजीवन के..,मगर तब जब आपके मन मे केवल गलतफहमी हो और तथ्य देख के उसे दूर कर लेने की सच्ची नीयत भी. तब ही आप मनुष्यता की ज़बान समझेंगे..

फिर चाहे आप किसी जाति मज़हब भाषा के हों, हिंदुस्तान के हों,पाकिस्तान के या अरब ,चीन, योरोप के.

इससे उलट अगर घृणा हो..सियासत हो तो मुझे माफ़ करें, सब बेकार होगा . यानी झूठ और नफरत की व्हाट्सएप  यूनिवर्सिटी के अगर स्टूडेंट होंगे तो मेरी औकात से बाहर है..

आप अपनी अग्नि में एक दिन खुद झुलसने को अभिशप्त हैं , मैं कुछ नहीं कर सकता.

 

यह भी पढ़ें : पहले डरती थी एक पतंगे से, मां हूं अब सांप मार सकती हूं

यह भी पढ़ें : लॉ की मौत हो गई सिर्फ ऑर्डर ही बचा है : RIP JUSTICE

यह भी पढ़ें : स्त्री उपभोग की चीज है…..???

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : इज्जत टीआरपी में नहीं खबर की सच्चाई में है

यह भी पढ़ें : विलायत जाफ़री के न होने का मतलब

बाकी एड से तो मुझे ये भी समझ मे नहीं आया कि वो लड़की हिन्दू है या ईसाई या सिख या मुस्लिम में किसी और फिरके की या दक्षिण भारतीय…

ये कैसे (किन स्टिरिओटाइप्स) से पता चलता है, ज़रा बताना मुझे, शायद देख न पाया हूँ.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com