जुबिली न्यूज डेस्क
काबुल के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गुरुवार देर शाम हुए दो घमाकों में 60 लोगों की मौत हो गई है और 140 लोग घायल हुए हैं।
यह जानकारी अफगानिस्तान के स्वास्थ्य अधिकारी ने दी है। वहीं पेंटागन के अनुसार इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं और साल 2011 के बाद अमेरिकी सैनिकों के लिए ये सबसे खतरनाक हमला साबित हुआ है।
इस हमले पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा,’इस हमले के पीछे जो कोई भी है हम उसे ढूढ़ निकालेंगे और इसकी कीमत उसे चुकानी होगी। ना हम उन्हें भूलेंगे और ना ही माफ करेंगे। आतंकवादी, अमेरिकियों को हमारा काम करने से रोक नहीं सकते। हम काबुल में अपना मिशन नहीं रोकेंगे और लोगों को सुरक्षित अफगानिस्तान से बाहर निकालने का काम जारी रहेगा।’
वैसे काबुल एयरपोर्ट पर हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली है। उन्होंने अपने टेलीग्राम चैनल के जरिए कहा है कि काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले के पीछे स्लामिक स्टेट खुरासान का हाथ है।
पढ़ें : अमेरिका और ब्रिटेन ने काबुल एयरपोर्ट को लेकर जारी की चेतावनी
पढ़ें : कोरोना के नए मामलों में बड़ा उछाल, केरल बना हुआ है चुनौती
पढ़ें : 6 साल तक कैद में रहे आतंकी को तालिबान ने बनाया अफगानिस्तान का रक्षा मंत्री
इस्लामिक स्टेट खुरासान ने कहा है कि यह एक आत्मघाती हमला था। इससे पहले अमरिकी रक्षा विभाग ने भी हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट के होने की संभावना व्यक्त की थी।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से दुनियाभर के देश वहां से अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम कर रहे हैं। ऐसे में इन धमाकों ने दुनियाभर में खलबली मचा दी है। कई राजनेताओं की इस हमले पर प्रतिक्रिया आई है।
पढ़ें : ब्याज दर बढ़ाने वाला पहला बड़ा एशियाई देश बना दक्षिण कोरिया
पढ़ें : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के लिए नौ जजों की नियुक्ति का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा
ब्रिटेन के रक्षा सचिव डोमिनिक रॉब ने कहा है कि इस तरह की कायराना हरकत ब्रिटेन को अफगानिस्तान में अपना काम करने से रोक नहीं सकती।
वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक बयान जारी करते हुए इस आतंकवादी हमले की निंदा की है। उन्होंने उन लोगों के ‘सलाम किया है जो ऐसे समय में काबुल में लोगों के सुरक्षित बाहर निकालने के मिशन पर लागातार काम कर रहे हैं।’
इसके अलावा नेटो के मुख्य सचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने भी इस घटना को ‘भयानक आंतकी हमला’ बताया है। उन्होंने कहा है कि ‘जितना संभव हो उनते लोगों के यहां से सुरक्षित बाहर निकलना हमारी प्राथमिकता है।Ó
ख़ुफिया एजेंसियों ने दी थी चेतावनी
अमेरिका और ब्रिटेन की ख़ुफिया एजेंसियों ने पहले ही काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमले की चेतावनी दिया था। लेकिन किसी तरह काबुल छोडऩे की कोशिशों में लगे अफगान लोगों ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया और वे गेट पर डटे रहे।
पिछले कई सालों और हालिया महीनों में अफगानिस्तान के शहरों में होने वाले कई हमलों में इस रणनीति का इस्तेमाल किया गया है। इसके तहत पहले एक आत्मघाती हमलावर धमाका करता है फिर गोलीबारी की जाती है और इस तरह ध्यान भटका कर दूसरे धमाके किए जाते हैं।
अमेरिका को काबुल पर और हमलों की है आशंका
कथित इस्लामिक स्टेट के और हमलों के लिए अमेरिकी कमांडर अलर्ट हो गए हैं। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल फ्रैंक मैकेन्जी का कहना है कि काबुल एयरपोर्ट पर रॉकेट और गाडिय़ों में रखे बम से हमले की आशंका है।
जनरल मैकेन्जी ने कहा, “सावधानी के साथ हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं ताकि पूरी तरह तैयार रहें।”
इस बीच अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी की प्रक्रिया तेज हो गई है। 31 अगस्त से पहले तालिबान से हुए समझौते के अनुसार अमेरिकी फौज को देश छोड़ देना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस समय सीमा को बढ़ाया नहीं है। उन्होंने कहा है कि हमलों के बावजूद अफगानिस्तान से निकलने की प्रक्रिया जारी रहेगी।