जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया और अब राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने एक लम्बे अरसे के बाद यह स्वीकार कर लिया कि उन्हें अपने खिलाफ लगाये गए यौन उत्पीड़न मामले के आरोपों की सुनवाई के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की पीठ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए था. अपनी आत्मकथा जस्टिस फॉर द जज के विमोचन के मौके पर गोगोई ने कहा कि हम सभी गलती करते हैं और इसे स्वीकार लेने में कोई बुराई नहीं है.
रंजन गोगोई ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मैंने बार और बेंच में 45 साल तक कड़ी मेहनत की. मुझ पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये गए. इन आरोपों को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया और इस मामले के लिए गठित पीठ में मुझे भी शामिल किया. अब मुझे लगता है कि मुझे उस पीठ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए था. उस पीठ में शामिल होना मेरी गलती थी.
सुप्रीम कोर्ट की ही एक पूर्व कर्मचारी के आरोपों की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ गठित की थी. उस पीठ में गोगोई को भी शामिल किया गया था. इस पीठ ने गोगोई को क्लीन चिट दे दी थी. यह साल 2019 की बात है.
जस्टिस रंजन गोगोई से पूछा गया कि क्या अयोध्या का फैसला सुनाने के एवज़ में उन्हें राज्यसभा भेजा गया तो उन्होंने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया.
यह भी पढ़ें : शराबबंदी क़ानून की आड़ में अकूत सम्पत्ति जुटाने वाले उत्पाद अधीक्षक के ठिकानों पर छापे
यह भी पढ़ें : चीन को नज़र आयी चाँद पर रहस्यमयी झोंपड़ी
यह भी पढ़ें : 108 दिन बाद रिहा हुआ माब लिंचिंग का शिकार चूड़ी वाला
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : केशव बाबू धर्म का मंतर तभी काम करता है जब पेट भरा हो