सुरेन्द्र दुबे
सुप्रसिद्ध कवि मैथिली शरण गुप्त ने अपने महाकाव्य यशोधरा में नारी जीवन पर बड़ी मार्मिक पंक्तियां लिखी है, जिनका इस देश में महिलाओं की दुर्दशा का वर्णन करने के लिए उल्लेख किया जाता रहा है। ये पक्तियां हैं-अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी” ।
हमने सोचा कि आज के भारत में महिलाओं की क्या दशा है इस पर विचार कर लिया जाय। वैसे तो महिलाओं पर आज तरह-तरह के अनाचार और अत्याचार हो रहे हैं, जब अभिनेत्री कंगना रनौत की याद आई तो लगा वाकई इस देश में एक महिला राजनीतिक कारणों से कितनी ताकतवर हो गई है। केंद्र सरकार रातों रात उसे वाई प्लस कटेगरी की सुरक्षा मुहैया करा देती है। इस तरह की सुरक्षा पूरे देश में मुठ्ठी भर लोगों को ही प्राप्त है।
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अपुन को बड़ी खुशी हुई कि चलो सरकार ने अपनी संवेदनशीलता का सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन तो किया। पर जब कंगना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से तू-तड़ाक से बात करनी शुरू कर दी तो समझ में आ गया की यह महिला तो बहुत ताकतवर है। वरना मुंबई में रहकर शिवसेना से लड़ पाना इतना आसान नहीं है। कंगना की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस देश का गोदी मीडिया दिन रात उन्हें एक अबला नारी साबित करते हुए उनकी शान में कसीदे काढ़ रहा है। कारण बहुत बड़ा है। आखिर महाराष्ट्र सरकार की कंगना रनौत का नक्शे से इतर निर्माण तोडऩे की हिम्मत कैसे पड़ी।
केंद्र सरकार और मीडिया दोनों जार-जार रो रहे हैं। शायद इसी को घडिय़ाली आंसू कहते है। माफ करना घडिय़ाल भाई आपका नाम लेना पड़ रहा है पर आप बुरा न मानें क्योंकि में तू-तड़ाक की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर रहा हूं।
शिवसेना जो अपनी दबंगई के बल पर ही जिंदा है वह भड़क गई। उसने अपने मुखपत्र सामना में लिख दिया कि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं करना चाहिए। ये भी लिख दिया कि जिनके अपने घर शीशे के हो वो दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकते। यानी कि एक कहावत सुना दी और साथ में एक फिल्मी डायलॉग भी सुना दिया। शिवसेना को लगा होगा कि कंगना भी कोई फिल्मी डायलॉग सुना देंगी पर उन्हें सोमनाथ मंदिर की याद आ गई जिसकी आड़ में उन्होंने शिवसेना को धमका दिया अच्छा हुआ राम मंदिर का जिक्र नहीं किया।
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कंगना एक फिल्म कलाकार हैं इसलिए लोगों को उनकी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए क्योंकि उनकी तो आदत ही है दूसरे के लिखे डायलॉग बोलने की, सो उन्होंने बोल दिया पर शिवसेना को तो अपने ही डायलॉग बोलने की आदत है। इस मामले में वे शुरू से आत्मनिर्भर हैं।
पता नहीं किस तुफैल में नौसेना के पूर्व अधिकारी मदन शर्मा ने मुख्यमंत्री पर रचित एक कार्टून अपने व्हाट्स एप से जारी कर दिया शायद उनकी मंशा मुख्यमंत्री को आइना दिखाने की रही हो। पर वो भूल गए कि इस दौर में आइना दिखाना एक अपराध है इसलिए शिवसेना के लोगों ने उन्हें पीट दिया। हालांकि कार्टून बनाना शिवसेना के खून में है पर वे यह नहीं चाहते कि कोई और कार्टून बनाए। महाराष्ट्र की पुलिस बधाई कि पात्र है कि उसने 6 शिवसैनिकों को गिरफ्तार कर थाने से ही जमानत दे दी। वह दिन दूर नहीं जब वहां की पुलिस मारपीट करते समय स्वयं मौजूद रहेंगी और घटना स्थल पर ही लोगों को जमानत दे देगी।
महाराष्ट्र में स्थिति काफी भयावह होती जा रही है। लोकतंत्र के बारे में कतई चिंता नहीं करनी चाहिए।केंद्र और राज्य सरकार में कौन जीतेगा ये देखना होगा क्योंकि अब सरकारें जनमत से नहीं बनतीं। जनता किसी को जनमत देती है और फिर सत्ता किसी और की सरकार बना देती है। ये खेल पूरे देश में चल रहा है।
कंगना रनौत सिर्फ एक पटकथा की नायिका हैं। नारकोटिक्स ब्यूरो केंद्र की तरफ से फिल्म बना रहा तो पुलिस महाराष्ट्र सरकार की ओर से फिल्म में नई पटकथा तैयार करने में लगी है। महाराष्ट्र पुलिस ,को भी अपने बाल बच्चे पालने है। कंगना रनौत को फंसाने में लगे होंगे। गोदी मीडिया को भी भूख लगती है। वैसे भी गोद में बैठे व्यक्ति को ज्यादा ही भूख लगती है। नंगे भूखे लोगों के ड्रामें में मत फंसिए। हां ड्रामा देखने में कोई बुराई नहीं है। जब सब काम धंधा बंद है तो और करेंगे भी क्या।चाहे कंगना हों या शिवसेना दोनो का चरित्तुर देखिए और अपना चरित्र बचाए रखिए।