जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली. सुनील ग्रोवर का ‘यूनाइटेड कच्चे’ वेब सीरीज पंजाब के युवाओं पर आधारित है जो अपना देश छोड़ विदेश यानी कनाडा में सेटल होने के सपने बुनते हैं. आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि जब तक इंग्लैंड गए नागरिकों को पर्मानेंट सिटीजन का स्टेटस नहीं मिलता है, उन्हें कच्चे कहकर पुकारा जाता है.
इसलिए इस सीरीज का नाम ‘यूनाइटेड कच्चे’ रखा गया है. सीरीज के नाम से साफ जाहिर है यह फिल्म कैसी है. मानव शाह के निर्देशन में बनी इस सीरीज ने भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेशी नागरिकों की कहानी को काफी शानदार तरीके से पेश किया है.अब बात करते हैं ‘यूनाइटेड कच्चे’ में टैंगों के फनी और शानदार डायलॉग्स की.
‘बच्चों के देखबाल के पैसे? ऐसे तो मेरी मम्मी को चाची से 10-12 लाख लेने हैं’. यह डायलॉग्स एक तरीके से तंज है, उन पैरेंट्स पर जो ज्वाइंट फैमिली छोड़ अपने बच्चों को नैनी के हवाले कर उन्हें मोटी फीस देते हैं. सुनील इस डायलॉग्स को तब बोलते हैं जब उनकी पड़ोसन उन्हें बच्चे संहालने का काम ऑफर करती है. वह कहती हैं कि बतौर नैनी बनकर वह एक दिन के लिए 100 पाउंड कमा सकता है और उसने इसकी तुलना उसके साथ की कि कैसे उसकी मम्मी और चाची से करते हैं.
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‘बाथरूम जाना है जी, बस यहीं पेड़ के पीछे रोक दो’. सुनील ग्रोवर का यह डायलॉग आप सुनकर हंस पडे़ंगे
बाप-दादा की ज़मीन गिरवी रख कर आधा सोफा मिलता है .यह जानने के बाद कि उसे बिना बिस्तर वाले कमरे में रहना होगा, बस एक सोफा जिसे किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करना है, टैंगो एक मिनट के लिए खुद से सवाल करता है कि उसकी लाइफ इतनी रंगीन नहीं जितना कि वह सोच रहा है.
‘मुझे लगा मुझे नज़र लगी है, ये तो बहुत बाद में पता चला की मुझे जेटलैग है’. कॉमेडियन होने के नाते सुनील ग्रोवर इस सीरीज में दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. अपने ऊपर छिपी बुराई से छुटकारा पाने के लिए झाड़ू और नमक का उपयोग करने से लेकर यह महसूस करने तक कि वह सिर्फ जेटलैग है, वह निश्चित रूप से दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर देते हैं.‘इसको ओमेगा 3 खिलाओ, उस में फिश ऑयल होता है जो स्कीन बड़ी अच्छी हो जाएगी’.
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