जुबिली स्पेशल डेस्क
देश में इस समय कोरोना कहर टूट रहा है। आलम तो यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की लगातार जान जा रही है। कोरोना की वजह से सबकुछ थम गया है। इतना ही नहीं कोरोना की वजह से खेलों की दुनिया में सन्नाटा पसरा हुआ है। कोरोना ने इस दौरान कई खेलों का खेल बिगाड़ दिया है।
ओलम्पिक सर पर है और खिलाड़ी कोरोना की वजह से मैदान पर नहीं उतर रहे हैं। कोरोना ने सायना और श्रीकांत के ओलम्पिक खेलने के सपने को तोड़ दिया है। ऐसे तमाम खिलाडिय़ों को भविष्य कोरोना काल में दाव पर लग गया है।
बात अगर क्रिकेट की जाये तो कोरोना की वजह से एक बार फिर घरेलू क्रिकेट को निराशा झेलनी होगी। इसके आलावा जूनियर क्रिकेटरों की पिछले साल की तरह इस साल भी झटका लगना तय है।
हालांकि बीसीसीआई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल पर अपना पूरा फोकस लगाये रखा है लेकिन घरेलू क्रिकेट को लेकर उसके पास कोई ठोस योजना नजर नहीं आ रही है।
यह भी बड़ा सवाल है कि जब आईपीएल जैसी बड़ी प्रतियोगिता को वो किसी और देश में करा सकता है तो जूनियर क्रिकेट को लेकर कोरोना काल में कोई ठोस योजना नहीं है।
मौजूदा सत्र में सैय्यद मुश्ताक अली, विजय हजारे ट्रॉफी किसी तरह से बीसीसीआई कराकर अपना पल्ला झांड लिया है। इसके आलावा कोरोना की वजह से रणजी ट्रॉफी कराने से बीसीसीआई ने हाथ खड़े दिए थे।
ऐसे में बड़ा सवाल है कि अंडर-16, अंडर-19, अंडर-22 व 23 जैसे खिलाडिय़ों का अब क्या होगा। उनका भविष्य अंधकार में जा सकता है।
अंडर-19 के सहारे भारतीय टीम का खेलने का सपना कई खिलाड़ी देखते हैं लेकिन इस साल उनकी कोई बड़ी प्रतियोगिता आयोजित नहीं होने से उनके लिए झटका होगा, क्योंकि कई ऐसे खिलाड़ी होते जो बाद अपने ओवर एज होने की वजह से इस कैटेगरी में नहीं खेल पायेगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बीसीसीआई जूनियर क्रिकेट को लेकर सीरियस नहीं है।
पिछले दो साल से कोरोना के चलते जूनियर क्रिकेट पूरी तरह से बंद पड़ा है। आलम तो यह है कि कई खिलाड़ी अपने एज ग्रुप में अब शायद नहीं खेल पायेगे। अकादमी पूरी तरह से बंद है और जूनियर खिलाड़ी घर पर रहने के लिए मजबूर है।
इस पूरे मामले में जुबिली पोस्ट ने आदित्य वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि ने इस बाद का दुख है बीसीसीआई की बैठक में घरेलू क्रिकेट और जूनियर क्रिकेट को लेकर किसी भी तरह की बातचीत नहीं की गई है।
उन्होंने यह तब है जब बीसीसीआई का अध्यक्ष कोई और नहीं है बल्कि पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली है। इस बैठक में दादा ने घरेलू क्रिकेट को लेकर कोई बात नहीं की है।
यह बेहद दुखद है। उन्होंने आईपीएल को लेकर कहा कि ये बात सत्य है कि आईपीएल खिलाडिय़ों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रहा है लेकिन बीसीसीआई को अन्य क्रिकेटरों के बारे में सोचना चाहिए।
पिछला सत्र भी ऐसे ही चला और ये वाला सत्र ऐसे ही जायेगा। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई ने इन खिलाडिय़ों के बारे में कोई ठोस रणनीति नहीं बनायी है।