Monday - 7 October 2024 - 1:10 PM

जुगाड़ टेक्नोलॉजी: भारतीय बुद्धि का अद्भुत नमूना

प्रो. अशोक कुमार

जुगाड़ एक ऐसा शब्द है जो भारत में हर किसी की जुबान पर चढ़ा हुआ है। यह एक अनौखी भारतीय अवधारणा है जो रचनात्मकता, समस्या समाधान और सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की क्षमता को दर्शाता है। जुगाड़ तकनीक मानव गतिविधि के हर क्षेत्र में काम करती है। जुगाड़ शब्द को भारतवर्ष मे एक “ चालबाजी “ के संदर्भ मे भी प्रयोग किया जाता है !

मुझे जुगाड़ का सबसे पहला अनुभव तब हुआ जब मैं बाजार से एक टूथब्रश लाया और टूथब्रश को मैं अपने दांतों की सफाई के लिए इस्तेमाल करने लगा ! कुछ दिनों बाद टूथब्रश का ब्रश खराब होने लगा तो मैं उसको फेंकने लगा ! एक मित्र ने मुझे रोक लिया ! मैंने कहा कि तुमने मुझे खराब ब्रश को फेंकने से क्यों मना कर दिया, मित्र ने कहा टूथब्रश अभी खराब नहीं हुआ इसके अभी बहुत सारे उपयोग बाकी हैं ! मैंने कहा यह टूथब्रश तो खराब हो गया, इसके फाइबर्स खराब हो गए, अब तो मैं इसे अपने दांत साफ नहीं कर सकता हूं !

मित्र ने कहा की यह ठीक है की तुम इसे टूथब्रश की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते है लेकिन ऐसा होता है कि दांत तो नहीं साफ कर सकते हो, लेकिन घर में बहुत सी पुरानी चीज होती हैं जिसमें मैल जम जाता है तो उनको छुड़ाने के लिए हम इस ब्रुश से उसको रगड़ सकते हैं और जब रगड़ेंगे तो वह चीज साफ हो जाती है !

मित्र ने कहा इतना ही नहीं अगर मान लो इसके बाद भी ब्रश खराब हो जाए तो भी इस टूथब्रश का प्रयोग हम कर सकते हैं ! मैंने पूछा की उसके बाद क्या प्रयोग कर सकते हैं? मित्र ने बोला की उसके बाद हम इस टूथ ब्रश को अपने पजामे में नाडा डालने में काम में ले सकते हैं ! मैं बिल्कुल आश्चर्यचकित हो गया ! लेकिन वास्तव में मैंने देखा कि प्रत्येक भारतीय टूथब्रश का प्रयोग करने के लिए क्या-क्या जुगाड़ करता है ! मुझे विश्वास है कि आपने भी टूथब्रश का प्रयोग कई तरह से किया होगा ! अगर नहीं किया है तो अवश्य जुगाड़ आप कर सकते हैं

आज जीवन के हर क्षेत्र में हमें जुगाड़ का प्रबंध करना पड़ता है यदि आपको रेलवे स्टेशन में टिकट रिजर्व करना है तो उसमें भी आपको जुगाड़ की आवश्यकता पड़ती है वैसे तो आजकल ऑनलाइन रेलवे रिजर्वेशन होता है लेकिन आप सब जानते हैं कि कभी-कभी आपको रिजर्वेशन ऑनलाइन में नहीं मिलता तब आप रेलवे के कोटे में उसका जुगाड़ लगाते हैं या फिरजब तत्काल मे रिज़र्वेशन चाहिए होता है तब आप किसी एजेंट से जुगाड़ लगाते हैं कि वह तत्काल में तुरंत ही आपका रिजर्वेशन करा दे !

उसी प्रकार से यदि आपको किसी अस्पताल में जाना हो या किसी मेडिकल डॉक्टर को घर पर भी दिखाना तो अगर आपके पास जुगाड़ नहीं है तो आपको लंबा इंतजार करना पड़ेगा ,लंबी लाइन लगानी पड़ेगी लेकिन यदि आपके पास जुगाड़ है तो आप डॉक्टर साहब को या अस्पताल में अपने किसी मित्र से फोन करवा देंगे तो वह डॉक्टर साहब आपको पहले ही देख लेंगे और आपका बहुत समय बच जाएगा !

सरकारी दफ्तर में तो यह बिल्कुल निश्चित है ! यदि आपको सरकारी दफ्तर में किसी कार्य से जाना है तो जब तक आपका कोई जुगाड़ नहीं होगा तब तक सरकारी दफ्तर में आपका कोई भी काम नहीं हो सकता है ! आपको किसी न किसी व्यक्ति से या तो सिफारिश करनी पड़ेगी या किसी व्यक्ति को कुछ धन की प्राप्ति करानी होगी, तभी वह आपकी बात सुनेगा और आपका कार्य करेगा !

किसी भी संस्था में कोई कार्य के लिए आपको जुगाड़ बैठना पड़ेगा ! यह जुगाड़ के कई तरीके हो सकते हैं या तो आप कोई राजनीतिक दबाव ले या कोई आर्थिक ! तभी आपका कार्य संपन्न होगा ! अक्सर देखा गया है कि बहुत से कार्यों में आपकी अर्जी स्वीकृति नहीं होती जब तक कि आप कोई जुगाड़ ना लगाएँ !

यदि आप विश्वविद्यालय की बात करें तो विश्वविद्यालय के तो प्रत्येक क्षेत्र में जुगाड़ की बहुत आवश्यकता है ! यदि आपको किसी अच्छे महाविद्यालय में या विश्वविद्यालय में प्रवेश लेना है तो आपका यदि जुगाड़ होगा तो आपको अच्छे से अच्छा महाविद्यालय और अच्छे-अच्छे विश्वविद्यालय मे प्रवेश मिल जाएगा !

बहुत से शैक्षणिक संस्थानों मेंप्रवेश के लिए बहुत सारे प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है : जैसे की जाति प्रमाण पत्र, ( एससी एसटी प्रमाण पत्र ) , खेलकूद का प्रमाण पत्र आदि ! यदि आपका जुगाड़ होगा तो आपको ऐसे प्रमाण पत्र आसानी से मिल जाएंगे और आपको विश्वविद्यालय में या महाविद्यालय में इनके आधार पर प्रवेश मिल जाता है ! इतना ही नहीं इन सर्टिफिकेट से बहुत से अन्य मेडिकल कॉलेज या इंजीनियरिंग कॉलेज में भी प्रवेश मिल जाता है !

इसी प्रकार से इतना ही नहीं बहुत सी ऐसी सेवाएं होती हैं जिसमें आपका साक्षात्कार होता है और साक्षात्कार के आधार पर आपको नियुक्ति मिलती है ! इसमें भी यदि आपका जुगाड़ है तब आपके साक्षात्कार में सफल होने की संभावना होती है ! इसलिए रोजगार पाने के लिएजुगाड़ की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है ! विश्वविद्यालय में या महाविद्यालय में शिक्षण संस्थानों में यदि आपको अच्छे नंबर लाने हैं तो आपका यदि जुगाड़ है तो आपके प्रश्न पत्र भी प्राप्त हो सकता है और विशेष तौर से आपको प्रयोगिक परीक्षाओं में जुगाड़ की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है ! यदि आप साल भर भी प्रैक्टिकल ना करेंऔर आपका जुगाड़ है तब भी आपको परीक्षा में 80 से 90% अंक प्राप्त हो सकते हैं !

किसी भी संस्था में रोजगार पाने के लिए जुगाड़ बहुत आवश्यक है चाहे वह कोई शैक्षणिक संस्था हो या कोई सरकारी या कोई निजी संस्थान हो, हर एक में जुगाड़ की आवश्यकता होती है और यदि आपका जुगाड़ है तो आपको रोजगार मिल सकता है ! आप सोचते होंगे कि मेरी शैक्षणिक योग्यता बहुत ही अच्छी है लेकिन इस तरह की शैक्षणिक योग्यता अच्छी होने वाले बहुत से प्रतिवादी होते हैं और इसलिए यदि आपका जुगाड़ है तो साक्षात्कार मेंनिश्चित रूप से सफलता मिल सकती है ! वर्तमान में सत्य है, योग्यता के आधार पर कम ,जुगाड़ के आधार परअधिकतर नियुक्तियां होती हैं ! इस जुगाड़ मेंआर्थिक,राजनीतिकजुगाड़ सबसे ज्यादा प्रमुख होता है !

पत्रकारिता के क्षेत्र में भी लेख को प्रकाशित करने के लिए जुगाड़ की आवश्यकता होती है ! यदि आपका जुगाड़ है तो आपका लेख प्रकाशित हो जाएगा यदि आपका जुगाड़ नहीं है तो अच्छे से अच्छा लेख आपका प्रकाशित नहीं हो पाएगा ! आपको कोई सेमिनार या कॉन्फ्रेंस या मीटिंग करनी हो तो जब तक आपने कोई जुगाड़अर्थव्यवस्था के लिए नहीं किया है या अच्छी जगह का जुगाड़ नहीं किया है, या अच्छे से अच्छे वक्ता बुलाने का जुगाड़ नहीं किया है तब तक आपका कोई भी आयोजन ,प्रयोजन सफल नहीं हो सकता !

इसीलिए आपने देखा होगा कि अक्सर चाहते हुए और ना चाहते हुए भी विभिन्नप्रायोजकों मेंआयोजनमंत्री किसी नेता या मंत्रीया किसी ऐसे व्यक्ति को बुलाना चाहते हैं जिनका सरकार में बहुत ज्यादाप्रभाव होता है ! इस कारण से समाचार पत्रों मेंसमाचारअच्छे ढंग से छप जाता है ! सेमिनार और कॉन्फ्रेंस को आयोजन करने के लिए विभिन्न संगठनों से आर्थिक सहायता भी मिल सके जितना अच्छा आपका जुगाड़ होगा उतना ही अच्छा आपका सेमिनार कॉन्फ्रेंस या कोई भी वर्कशॉप होगी !

इसलिए जुगाड़ हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कौशल है और जिस किसी के पास जुगाड़ कौशल है वह जीवन के हर एक क्षेत्र में सफल हो सकता है और यदि उसके पास जुगाड़ नहीं है तो वह जीवन में बहुत कष्ट झेलेगा !

यदि आपको शिक्षण संस्थान में नियुक्ति चाहिए, प्रमोशन चाहिए तो यह आवश्यक है कि आप अपना ध्यानशोध पत्रों पर ना दें ! यह आवश्यक है कि आप 10 शोध पत्र छापने की बजाय 10 प्रोफेसर से जुगाड़ लगाने का प्रयास करें ! आपको नियुक्ति और प्रमोशन दोनों ही संभव है, अन्यथाशोध पत्रों के आधार पर नियुक्ति और प्रमोशन पाना मुश्किल है !

भारतीय चुनाव में जुगाड़ टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा प्रभावशाली है ! आप कितने भी शक्तिशाली व्यक्ति हों , कितने भी धनी व्यक्ति क्यों ना हो, आप का कितना भी अधिक से अधिक राजनीतिक कैरियर हो लेकिन फिर भी आपको चुनाव में अगर टिकट पाना है तो जब तक आपका जुगाड़ नहीं होगा तब तक आपको चुनाव में अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिल पाएगा और आप चुनाव नहीं लड़ पाएंगे ! इस प्रकार से किसी भी चुनाव जीतने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के जुगाड़ टेक्नोलॉजी अपनाने पड़ेंगे !

आपको वोट देने वालों को भी आर्थिक  सामाजिक,व्यवहारिकसभी प्रकार के प्रलोभन देने पड़ेंगे !यह भी जुगाड़ का हिस्सा है ! आपको विभिन्नतत्वों का सहयोग लेना पड़ेगा ! जुगाड़ से आप चुनाव भी जीत सकते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद आपको यदि मंत्री, मुख्यमंत्री बनना है या प्रधानमंत्री बनना है तो जब तक आपका जुगाड़ सिस्टमअच्छा नहीं होगा आपको कोई भी पद नहीं मिल पाएगा ! वास्तव मेंभारतीय राजनीतिमें जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान है !

सामान्यता खेल के मैदान में भी यही स्थिति है,यदि आपका जुगाड़ है तबआप किसी भी खेल व्यवस्था में अपना स्थान प्राप्त कर सकते हैं ! जब कभी टीम का चुनाव होता है, सिलेक्शन होता है तो यदि आपका जुगाड़ टीम मैनेजर, सिलेक्शन कमिटी और खेल के कप्तान सेतभी आपका टीम में चुनाव हो सकता है ! चाहे वह टीम में चुनाव हो या टीम के कोच का चुनाव हो या टीम के फिजियोथेरेपिस्ट का चुनाव हो हर क्षेत्र में जुगाड़ टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है जो इस टेक्नोलॉजी में जितना ही ज्यादाटैलेंटेड है उतना ही उसके सफल होने की आशा की जा सकती है !

आप सोच रहे होंगे यदि मैं जुगाड़ टेक्नोलॉजी के बारे में इतना जानता हूं तब मैं भी कुलपति जुगाड़ टेक्नोलॉजी के कारण ही बना हूंगा ! इसके पहले कि मैं अपना रहस्य आपको बताऊं मैं एक बात बताना चाहता हूं ! कभी-कभी जुगाड़ टेक्नोलॉजी भीभारी पड़ जाती है ! एक निश्चित स्थान को पाने के लिएबहुत सारे व्यक्ति जुगाड़ का प्रयोग करते हैंऔर इस कारण जुगाड़ के क्षेत्र मेंभी बहुत ज्यादाप्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है, कंपटीशन बढ़ जाता है ! ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ !

मेरे कार्यकाल समाप्त होने के बाद मुझे इस बात का ज्ञान हुआ कि मेरा नाम सर्च कमेटी में था और लेकिन मेरे नाम के अतिरिक्त सभी नाम वालों का बहुत जुगाड़ था और जुगाड़ इतना ज्यादा था की चुनाव करने वाले को यह काफी मुश्किल हो गया कि वह इतने सारे जुगाड़ में किस जुगाड़ वाले की बात माने और इसीलिए उसने मेरा चुनाव किया क्योंकि मेरा कोई भी जुगाड़ नहीं था!

(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्षराजस्थान विश्वविद्यालय रह चुके हैं)

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