न्यूज डेस्क
पिछले दिनों मद्रास हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी के इस्तीफे के बाद विवाद खड़ा हो गया था। उन्होंने नाराज होकर इस्तीफा दिया था। फिलहाल वीके ताहिलरमानी का नाम लिए बगैर जजों के तबादले पर सुप्रीम कोर्ट का बयान आया है जिसमें कहा गया है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों एवं जजों के तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस वजहों पर आधारित होती है।
उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस. कालगांवकर के दफ्तर से जारी एक बयान में कहा गया कि जजों के तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, जरूरी हो जाने की स्थिति में, इसका खुलासा करने से नहीं हिचकिचाएगा।
ऐसी चर्चा है कि यह बयान मीडिया में चल रही खबरों और मुख्य न्यायाधीश वीके ताहिलरमानी के तबादले पर लगाई जा रही अटकलों की पृष्ठभूमि में जारी किया गया है।
गौरतलब है कि जस्टिस ताहिलरमानी ने 6 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था, जब उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने उनके तबादले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा था जिसकी एक प्रति मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को भेजी गई। इस्तीफे को अब तक न तो स्वीकार किया गया है और न ही अस्वीकार।
ताहिलरमानी के तबादले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया। ताहिलरमानी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने से पहले वह बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश थीं।
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Supreme Court issues statement over controversy pertaining to certain recommendations of the Collegium. It says if found necessary, the Collegium will have no hesitation in disclosing the reasons for transfer. pic.twitter.com/vytSRCuIJq
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) September 12, 2019
सेक्रेटरी जनरल द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों/ न्यायाधीशों के तबादले के संबंध में कॉलेजियम द्वारा हाल में की गई अनुशंसाओं से जुड़ी कुछ खबरें मीडिया में आई हैं।
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बयान में आगे कहा गया, ‘निर्देशानुसार, यह स्पष्ट किया जाता है कि तबादले की प्रत्येक अनुशंसा ठोस कारणों पर आधारित होती है जो न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन करने के बाद की जाती है।’
बयान में कहा गया है, ‘भले ही तबादले के कारणों का खुलासा संस्थान के हित में नहीं किया जाता हो, लेकिन अगर जरूरी लगा, तो कॉलेजियम को इसको सार्वजनिक करने में कोई संकोच नहीं होगा।’
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने जस्टिस ताहिलरमानी का तबादला मेघालय हाईकोर्ट में करने की अनुशंसा की थी। उन्हें पिछले साल आठ अगस्त को मद्रास उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।
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कॉलेजियम ने 28 अगस्त को उनके तबादले की अनुशंसा की थी जिसके बाद उन्होंने एक प्रतिवेदन देकर प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। उन्होंने मेघालय हाईकोर्ट में उनका तबादला किए जाने के खिलाफ अनुरोध पर विचार नहीं करने के कॉलेजियम के फैसले का विरोध किया था।
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अनुशंसा की थी कि मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एके मित्तल को मद्रास हाईकोर्ट ट्रांसफर किया जाए। कॉलेजियम में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन भी शामिल हैं।
जस्टिस ताहिलरमानी को 26 जून, 2001 को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उन्हें दो अक्टूबर, 2020 में सेवानिवृत्त होना है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहते हुए उन्होंने मई 2017 में बिल्किस बानो गैंगरेप मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराए जाने और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। यह मामला शीर्ष अदालत के निर्देशों पर गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर किया गया था।