न्यूज डेस्क
पिछले दिनों पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की गिरफ्तारी की जितनी चर्चा हुई उतनी ही चर्चा सुप्रीम कोर्ट के उस जज की भी हुई थी जिन्होंने उनकी जमानत याचिका को खारिज किया था। एक बार फिर यह जज चर्चा में हैं। दरअसल उन्हें धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) निवारण अधिनियम के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण (एटीपीएमएलए) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर पूर्व वित्त मंत्री की गिरफ्तारी का मार्ग प्रशस्त करने वाले जस्टिस सुनील गौड़ 22 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
डिजिटल मीडिया द प्रिंट के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सुनील गौड़ एटीपीएमएलए के मौजूदा अध्यक्ष जस्टिस मनमोहन सिंह के रिटायर होने के बाद 23 सितम्बर को अपना पद संभालेंगे।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के अभियोजन की भी राह जस्टिस गौड़ ने तैयार की थी। गौड़ को अप्रैल 2018 में पदोन्नत कर हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया था। उन्हें 11 अप्रैल 2012 को स्थायी न्यायाधीश नामित किया गया था।
जस्टिस गौड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की है। 19 अगस्त को उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी की भी अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी थी।
आईएनएक्स मीडिया मामले में चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए 62 वर्षीय जज ने पिछले हफ्ते मंगलवार को उन्हें ‘मुख्य षडयंत्रकारी’ करार दिया था।
इस महीने की शुरुआत में, जस्टिस गौड़ ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और उसके तत्कालीन तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक मामलों की कैबिनेट की बैठकों से संबंधित गुप्त दस्तावेजों को रखने के लिए मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया था।
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