जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गलत ढंग से प्रमोशन पाने वाले कोषागार लेखाकारों की अब खैर नहीं। दरअसल शासन ने ऐसे लोगों पर सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश भर के लेखाकारों को पदावनत करने के आदेश दे दिए गए हैं।
आपको बता दें कि जुबिली पोस्ट ने इससे पहले खबर दिखायी थी और बताया था कि कैसे आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय की मेहरबानी की वजह से करोड़ों का भुगतान किया गया है।
इसके साथ ही जुबिली पोस्ट ने ठोस सबूत के साथ खबर दिखायी थी और बताया था कि एक सरकारी विभाग में कुछ सहायक लेखाकारों को और अनियमित रूप से बिना परीक्षा पास किए ही पदोन्नति दे दी गई थी।
परन्तु बाद में इस विभाग के वित्त नियंत्रक जब आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय के निदेशक बनाए गए तब उन्होंने इसको अनियमित माना और ऐसे लेखाकारों को जो प्रोन्नति दी गई थी उन्हे निरस्त करते हुए उन्हें पदावनत कर दिया जबकि अन्य विभागों में पदोन्नति के बाद एसीपी और सीनियारिटी का लाभ भी निदेशालय लगातार देता रहा है।
जुबिली पोस्ट ने इन लेखाकारों को किया था बेनकाब, देखें यहां पर : आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय की मेहरबानी, करोड़ों का हुआ अधिक भुगतान
अब शासन ने आखिरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए गलत ढंग से प्रमोशन पाने वाले प्रदेश भर के ऐसे लेखाकारों को पदावनत करने के आदेश दे दिए गए हैं।
शासन ने इन्हें ज्यादा लिए गए वेतन की रिकवरी का आदेश भी दिया है। यह वसूली 65 करोड़ रुपये तक ही हो सकती है। उधर इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश कोषागार कर्मचारी संघ के महामंत्री हेमंत कुमार श्रीवास्तव ने कहा है कि कोषागार लेखकारों को 37 साल पीछे से पदावनत कर वसूली का आदेश जारी होना नियम विरुद्ध है।
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मीडिया रिपोट्र्स की माने तो हद तो तब हो गई जब अगस्त 2018 और जुलाई 2019 में शासनादेश के माध्यम से गलत ढंग से लेखाकार बने कार्मिकों को पदावनत करने और वसूली के आदेश दिए गए पर संबंधित फाइल को आगे नहीं बढऩे दिया गया है और आपसी सांठगांठ से विभाग में दबा दिया गया। इस वजह से सरकार बड़ा चूना लगा है।
अब शासन के विशेष सचिव, वित्त प्रकाश बिंदु इस पूरे मामले पर सख्त नजर आ रहे हैं और पदावनति के साथ रिकवरी के बारे में तत्काल रिपोर्ट मांगने में देर नहीं की है।