न्यूज डेस्क
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहा है। जिस तरह कैंपस में नकाबपोशों ने तांडव मचाया और फोन के करने के बाद भी पुलिस मौके पर समय से नहीं पहुंची, सवाल उठना लाजिमी है।
फिलहाल पुलिस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जेएनयू के अंदर पांच जनवरी को पहली बार नकाबपोश हमलावरों को दोपहर ढ़ाई बजे देखा गया था, उसके बाद लगभग चार घंटे तक पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) के पास 23 कॉल की गई थी। इसके बाद शाम 7.45 बजे रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने दिल्ली पुलिस को एक आधिकारिक पत्र सौंपा और परिसर में अधिक संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात करने की मांग की।
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के मुताबिक फोन कॉल का जिक्र पुलिस ने 5 जनवरी की घटना का ब्यौरा देते हुए अपनी रिपोर्ट में किया है। मालूम हो कि पांच जनवरी को करीब 100 नकाबपोशों ने जेएनयू कैंपस में शाम के 6 बजे से लगभग तीन घंटे तक हमला किया और 36 छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को घायल कर दिया।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को सौंपी गई यह रिपोर्ट संभवतया केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में सुबह 8 बजे जेएनयू प्रशासनिक ब्लॉक में महिला पुलिसकर्मियों के साथ कुल 27 पुलिसकर्मियों के सादे कपड़ों में ड्यूटी पर तैनात होने और रात की पाली के बाद हटने तक की घटनाओं का जिक्र है।
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सूत्रों के मुताबिक ‘उनका काम यह सुनिश्चित करना था कि ब्लॉक के 100 मीटर के भीतर कोई धरना या विरोध प्रदर्शन न हो, जैसा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में पुलिस से कहा था। उन्होंने कहा कि इस टीम का नेतृत्व इंस्पेक्टर अनन्या यादव कर रही थीं और उनके पास कोई हथियार या लाठी नहीं थी। रिपोर्ट में दोपहर 2.30 बजे से आने वाले फोन का भी जिक्र है।’
इंडियन एक्सप्रेस के खबर के अनुसार दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच पुलिस कंट्रोल रूम को एक कॉल की गई। इसमें जेएनयू परिसर के अंदर एक झगड़े के बारे में बताया गया। फोन करने वाले ने उपद्रवियो का उल्लेख करते हुए बताया कि उनके चेहरे मफलर और कपड़ों से ढके हुए थे जो कि प्रशासनिक भवन के पास छोटे-छोटे समूहों में इकट्ठा हो रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने उन्हें प्रतिबंधित 100 मीटर के दायर में घुसने से रोक दिया।
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वहीं दोपहर 3.45 से 4.15 के बीच 8 पीसीआर कॉल की गई। ये सभी फोन कॉल पेरियार हॉस्टल में छात्रों की पिटाई से संबंधित थीं। करीब 40 से 50 उपद्रवी जो अपने चेहरों को ढके हुए थे, लाठी-डंडे लेकर हॉस्टल में घुस आए और नारे लगाते हुए हॉस्टल के छात्रों पर हमला कर दिया। पुलिस द्वारा हालात नियंत्रण में लाए जाने से पहले उन्होंने खिड़कियां तोड़ीं और दरवाजों को नुकसान पहुंचाया।
शाम 4.15 बजे से 6 बजे के बीच 14 पीसीआर कॉल की गईं। वे छात्रों द्वारा झगड़े और एकत्र होने की अलग-अलग घटनाओं के बारे में थीं। सूत्रों ने कहा कि जब पुलिस ने इन कॉल की विश्वसनीयता का पता लगाया तो झगड़ों, छात्रों को पीटे जाने और उनके इकट्ठा होने की कोई घटना नहीं मिली।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए, सूत्रों ने बताया कि शाम 7 बजे से शाम 7.30 बजे तक 50-60 बदमाश लाठी से लैस होकर पेरियार छात्रावास से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित साबरमती ढाबे में घुस गए और छात्रों को निशाना बनाया। फिर, वे साबरमती हॉस्टल में घुस गए और छात्रों के साथ उनके कमरे के भीतर मारपीट की और दरवाजों और खिड़कियों को तोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार, ‘पुलिस टीम ने हस्तक्षेप किया और अधिक संख्या में बल तैनात कर दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘रजिस्ट्रार द्वारा अनुरोध पत्र सौंपने के बाद जेएनयू में अधिक संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा एक फ्लैग मार्च आयोजित किया गया, जिसके बाद सामान्य स्थिति बहाल हुई।’
वहीं सात जनवरी को पत्रकारों से बात करते हुए वीसी ने कहा, ‘अगर यहां कानून और व्यवस्था की स्थिति है… तो हम देखेंगे कि क्या हमारी स्वयं की सुरक्षा इसे संभाल सकती है। लेकिन जब यह हाथ से निकल जाता है, और हमें लगता है कि सुरक्षा इसे संभाल नहीं सकती है, हम निश्चित रूप से पुलिस से संपर्क करते हैं क्योंकि हम नहीं चाहते कि कोई निर्दोष लोग घायल हो। रविवार को भी हमने यही किया।’
रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने दावा किया कि पुलिस शाम 6.30 बजे तक परिसर में आ गई थी और पत्र प्रस्तुत करने से पहले उन्हें अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि वीसी एम. जगदीश कुमार ने शाम करीब 5.30 बजे पुलिस से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि पुलिस को कॉल करने में जेएनयू की ओर से कोई देरी नहीं हुई है।
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