न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नए सियासी समीकरण बनते दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अचानक नीतीश कुमार से मिलकर राज्य की सियासी फिजां में कयासबाजियों को जन्म दे दिया है। अब चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी फिर से अपने पुनारे दल का रुख करने जा रहे हैं या वह एनडीए का घटक बनने की संभावना तलाश रहे हैं?
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी राज्य में विपक्षी महागठबंधन के एक प्रमुख घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख हैं और इन दिनों महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनने से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने मंगलवार की रात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बंद कमरे में मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट बातें हुईं। इस मुलाकात के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।
मुलाकात के बाद में मांझी ने हालांकि इस मुलाकात को लेकर पत्रकारों से कोई बात नहीं की। हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने इतना जरूर कहा कि वह क्षेत्र की समस्या को लेकर मुलाकात हुई थी। उन्होंने कहा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री मांझी जी क्षेत्र की समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की है।’
रिजवान यह भी स्वीकार किया कि जब दो राजनेता मिलते हैं तो राजनीति की बात तो होती ही है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रमुख घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार और महागठबंधन के घटक दल हम के नेता मांझी की इस मुलाकात में राजनीति की क्या बातें हुईं, इसे लेकर अब सियासी कयास लगाए जा रहे हैं। मांझी ने मंगलवार की सुबह महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनाए जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए मार्च तक का अल्टीमेटम दिया था।
बताते चले कि जीतन राम मांझी को मई 2014 में बिहार की सत्ता की कुर्सी पर नीतीश कुमार ने ही बिठाया था। दरअसल, नीतीश ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की बुरी तरह हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यंत्री पद छोड़ दिया था।
नीतीश ने बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे किए जाने पर एनडीए से पुराना नाता तोड़ते हुए अपने दम पर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में जेडीयू को राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से महज दो सीटों पर ही विजय मिल पाई थी।