- रेशमा खान की रिपोर्ट
बिहार मे 2019 आम चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर हलचल तेज हो गई है। हालांकि एनडीए में सब कुछ शांत दिख रहा है लेकिन विपक्षी दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। वहीं हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को राजद और कांग्रेस के बाद राज्य में तीसरा बड़ा दल घोषित करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अब 40 में से 20 लोकसभा सीटों पर अपना दावा ठोंकने की कोशिश कर रहे हैं।
राजद और कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि ‘बिहार महागठबंधन में खींचतान की सबसे बड़ी वजह जीतन राम मांझी द्वारा ज्यादा सीटों की मांग है। पिछले दिनों हम पार्टी की बैठक के बाद मांझी ने घोषणा की थी कि उन्हें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के उपेन्द्र कुशवाहा से कम से कम एक सीट ज्यादा चाहिए, क्योंकि उनकी पार्टी का जनाधार 2015 विधान सभा चुनाव के बाद बिहार में बढ़ा है और राजद द्वारा बनाई गई महागठबंधन में शामिल होने वाली कांग्रेस के बाद उनकी पहली पार्टी है।
हम पार्टी के अध्यक्ष जीतन राम मांझी नें कहा,
‘कई सारे छोटे-छोटे दल राजद द्वारा बनाई गई महागठबंधन में मेरी पार्टी के बाद ही शामिल हुए है। उस आधार पर मेरी दावेदारी ज्यादा सीटों पर बनती है।’
वैसे भी अगर विश्लेषण किया जाए तो “हम” पार्टी का आधार भी 2015 के बाद बढ़ा है। हालांकि मांझी के पार्टी के दूसरे नेताओं का मानना हैं कि पार्टी की तैयारी कम से कम बीस सीटों पर है। ऐसे में अगर हमें मौका दिया गया तो लोकसभा चुनाव में एनडीए को आसानी से रोका जा सकता है।
बहरहाल सूत्रों के हवाले से आ रही है कि सीटों के बंटवारे को लेकर एक बैठक इस सप्ताह के अन्त तक हो सकती है, जिसमें जीतन राम मांझी को मनाने की कोशिश की जाएगी। उनका ये भी मानना है कि सीट बंटवारे की रुपरेखा तय हो चुकी है और जल्द ही औपचारिक ऐलान भी कर दिया जाएगा।
सीट बंटवारे का जो फार्मूला तय किया जा रहा है उसके मुताबिक,
राजद नें कांग्रेस को 11, उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा को 4 और खुद 40 में 20- 22 सीटों पर चुनाव लडने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक दो वाम दलों सीपीआई और सीपीएम को भी एक -एक सीट मिल सकती है, जबकि अन्य छोटे महागठबंधन दलों को 2019 के लोक सभा चुनावों के लिए शेष सीटों की पेशकश की जा रही है।
जानकारों के मुताबिक कांग्रेस और अधिक सीटों की मांग कर सकती है क्योंकि उसे कीर्ति आजाद जो हाल में ही बीजेपी छोडऩे के बाद कांग्रेस में शामिल हुए हैं उन्हें भी टिकट देना है। इसके अलावा ऐसी भी चर्चा है कि बीजेपी से नाराज चल रहे शत्रुघन सिन्हा भी कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
वहीं राजद नेताओं ने जुबली पोस्ट से बातचीत में महागठबंधन में किसी तरह की खींचतान से इनकार किया है। उनका कहना है कि सीटों का बंटवारा समय पर तय हो जाएगा। जो छोटे-छोटे दल नाराज हैं उन्हें भी मनाने ही कोशिश हो रही है। हमें नही लगता महागठबंधन में सीट के बंटवारे को लेकर किसी तरह की टूट होगी।
कौन हैं जीतन राम मांझी
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का अब तक का राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प है। दिलचस्प इसलिए कि साढ़े तीन दशक के अपने राजनीतिक जीवन में मांझी ने घाट-घाट का पानी पिया है। उनकी राजनीति कांग्रेस, जदयू से होती हुई अब राजद पर आ टिकी है।
नीतीश कुमार ने वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मांझी को मुख्यमंत्री पद पर भरत बनाकर बैठाया था। उन्हें दलित मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया गया था। इस दौरान मांझी ने अपनी दलित पहचान का सियासी फायदा उठाने की खासी कोशिश भी की लेकिन वह सफल नहीं हो पाए।
हालांकि बाद में दोनों के बीच राजनीतिक गतिरोध इस कदर बढ़ गया कि कुमार ने मांझी को हटाकर खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ली। लिहाजा मांझी अब नये स्वरूप में बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं। मांझी ने भी बड़ी चाल चलते हुए अपनी खुद की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर (हम) का गठन कर लिया। अब मांझी की पार्टी लोकसभा में चुनावी ताल ठोकने के लिए तैयार है।