जुबिली स्पेशल डेस्क
झारखंड में 2024 का विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। राज्य की राजनीति में सामाजिक, आर्थिक, और विकास से जुड़े मुद्दे हमेशा से एक अहम भूमिका निभाते आए हैं। झारखंड में मतदाताओं की प्राथमिकताएं, क्षेत्रीय दलों की स्थिति, आदिवासी समुदाय की भूमिका और वर्तमान सरकार के कार्यों का आकलन इस चुनाव को बेहद रोचक बना रहे हैं।
झारखंड की मौजूदा सरकार का नेतृत्व हेमंत सोरेन कर रहे हैं, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख हैं। गठबंधन सरकार में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल हैं। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में मुख्य विपक्षी दल है, जो पिछली बार सत्ता से बाहर हुई थी।
हेमंत सोरेन की सरकार ने किसानों की कर्ज माफी, आदिवासी कल्याण और रोजगार के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। हालांकि, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं, जो चुनावी मुद्दा बन सकते हैं।
भाजपा अपने पुराने वोटबैंक को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है और आदिवासी मतदाताओं पर विशेष ध्यान दे रही है। साथ ही, भाजपा भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है।
झारखंड एक खनिज-समृद्ध राज्य है, लेकिन विकास में असंतुलन और आदिवासी समुदाय की अनदेखी जैसी समस्याएं यहाँ की राजनीति को प्रभावित करती रही हैं। 2024 के चुनाव में जो प्रमुख मुद्दे हो सकते हैं, वे हैं:
झारखंड की एक बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय से आती है, और उनके अधिकारों, भूमि और आजीविका से जुड़े मुद्दे हमेशा से ही चुनावी एजेंडे में रहे हैं। पेसा कानून (PESA Act) और सीएनटी-एसपीटी अधिनियम जैसे कानूनों का प्रभाव और उनका कार्यान्वयन चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
झारखंड में आदिवासी समुदाय का वोट निर्णायक भूमिका निभाता है। राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 27% हिस्सा आदिवासी है। झामुमो का जनाधार मुख्य रूप से इस समुदाय पर आधारित है, लेकिन भाजपा भी आदिवासी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में है।