Tuesday - 29 October 2024 - 4:17 AM

जेट एयरवेज से नरेश गोयल बाहर हुए तभी मिली जेट को मदद

जुबिली पोस्ट डेस्क

नई दिल्ली। आर्थिक संकट के बुरे दौर से गुजर रही जेट एयरवेज के प्रमोटर और मालिक नरेश गोयल ने चेयरमैन पद और कंपनी बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। नरेश गोयल का यह कदम कंपनी के दिवालियापन घोषित होने से बचाने के लिए माना जा रहा है।

नरेश गोयल पर पिछले कई सालों से कंपनी के मुख्य प्रमोटर यूएई की एतिहाद एयरलाइंस और बैंकों का दबाव है। कंपनी के प्रमोटर नरेश और अनीता गोयल के दो नॉमिनी (नामांकित व्यक्ति) और एतिहाद एयरवेज का एक नॉमिनी भी बोर्ड से हट गया है। पोर्ट्स के मुताबिक कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव विनय दुबे कंपनी से जुड़े रहेंगे।

25 साल पुरानी इस कंपनी को नरेश गोयल ने अपनी पत्नी के साथ 1993 में स्थापित किया था। जेट एयरवेज इस समय गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। निवेशकों से लेकर कंपनी के पायलट तक अब इस कंपनी का साथ छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

जेट एयरवेज के पायलटों और इंजीनियर्स को पिछले तीन महीने से अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। पायलटों ने चेतावनी दी है अगर 31 मार्च तक सैलरी नहीं मिली तो आगे वह विमान नहीं उड़ाएंगे।

महीने की शुरुआत में रॉयटर्स ने रिपोर्ट दी थी कि गोयल चेयरमैन पद छोड़ने के लिए और कंपनी में अपने 51 फीसदी हिस्सा घटाने के लिए राजी हो गए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जेट के ऋणदाता गोयल की पूरी हिस्सेदारी खत्म कर सकते हैं और आने वाले समय में नए खरीदार की खोज शुरू कर सकते हैं।

8500 करोड़ कर्ज का बोझ

एक समय में देश की नंबर एक एयरलाइन मानी जाने वाली जेट एयरवेज इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कंपनी पर करीब 8500 करोड़ रुपए का कर्ज है। एयरवेज का यह घाटा 2010 से लगातार बढ़ता जा रहा है। कंपनी का लगातार घाटे में जाने का प्रमुख कारण लागत से कम दाम पर टिकटों की बिक्री करना, भारी भरकम खर्चो में कटौती न करना, कंपनी के पास दूसरी एयरलाइंस से ज्यादा कर्मचारियों का होना और समय-समय पर रीस्ट्रक्चरिंग नहीं करना आदि रहे। इन कारणों के चलते कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया।

एतिहाद का नहीं मिल रहा है साथ

यूएई की एतिहाद एयरलाइंस ने साल 2015 में जेट एयरवेज में करीब 24 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। जिसके बाद कंपनी ने इसमें 2000 करोड़ रुपए का निवेश किया था। लेकिन संकट के सबसे बुरे दौर में एतिहाद एयरलाइंस ने अपने पैर पीछे कर रखे हैं। दरअसल एतिहाद एयरलाइंस भी इस समय घाटा झेल रही है। गोयल को यह उम्मीद थी कि संकट के दौर में एतिहाद एयरलाइंस इसमें कुछ और निवेश करेगी लेकिन हुआ इसका उलटा। एतिहाद एयरलाइंस अपनी सारी हिस्सेदारी बैंको को बेचकर इसमें से निकलना चाहती है।

सरकार के सामने संकट

सरकार को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर जेट एयरवेज दिवालिया हुई तो करीब 23 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे। रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष मोदी सरकार पर हावी हो जाएगा। ऐसे में सरकार चुनाव के मद्देनजर ऐसा कोई भी जोखिम उठाने के मूड में नहीं दिख रही है।

बैंक और कर्ज देने को तैयार नहीं

जेट एयरवेज पर बैंकों का भारी भरकम कर्ज का बोझ है। बैंकों ने भी अब और कर्ज देने से इंकार कर दिया है। बैंकों ने साफ कहा है कि बिना कोई मजबूत प्लान के अब नया कर्ज नहीं नहीं दिया जाएगा।

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