सुरेंद्र दुबे
देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का जबरदस्त विरोध हो रहा है। आम जनता के साथ-साथ राजनीतिक दलों में भी सीएए को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
बिहार में सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में सीएए को लेकर तकरार बढ़ती ही जा रही है। जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और महासचिव पवन वर्मा पार्टी के लिए सिरदर्द बन गए हैं। हो सकता है कि पार्टी इन दोनों नेताओं की बयानबाजी से तंग आकर इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दें।
जनता दल यूनाइटेड में भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर काफी समय से तनाव बना हुआ है। प्रशांत किशोर लगातार इस प्रयास में लगे हुए हैं कि नीतीश कुमार किसी तरह भाजपा से अपना पीछा छुडा लें। दूसरी ओर वह पश्चिम बंगाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से निकटता बढ़ा कर नीतीश कुमार को यह संदेश भी दे रहें हैं कि अगर भाजपा के ही साथ रहना है तो फिर वह उनसे अलग हो जाना पसंद करेंगे।
दोनों नेता एक दूसरे की मंशा समझ रहे हैं। पर कोई पहल नहीं करना चाहते हैं। नीतीश चाहते हैं कि प्रशांत किशोर साथ नहीं रहना चाहते तो खुद गुड बॉय कर लें। पर उन्हें स्वयं पार्टी से नहीं निकालना चाहते हैं।
कुछ दिन पहले जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन वर्मा ने सीएए और एनपीआर पर नीतीश कुमार से ‘विस्तृत बयान’ देने की मांग की थी। जिस पर बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जवाब देने के बजाए उनके खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
नीतीश कुमार ने कहा कि अगर किसी के पास कोई मुद्दा है तो वह पार्टी या पार्टी की बैठकों में इस पर चर्चा कर सकता है, लेकिन इस तरह के सार्वजनिक बयान आश्चर्यजनक हैं। पवन वर्मा जा सकते हैं और किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, जिसे वह पसंद करते हैं। उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं।
नीतीश कुमार की टिप्पणी का जवाब देते हुए पवन वर्मा ने कहा कि वह नीतीश कुमार के इस बयान का स्वागत करते हैं कि पार्टी में बहस की जगह है। फिलहाल मैं अपने पत्र के जवाब का इंतजार कर रहा हूं और जवाब आने के बाद ही आगे की राह तय करूंगा।
दरअसल, जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के उस बयान की खुलेआम आलोचना की थी, जिसमें मई से सितंबर के दौरान बिहार में NPR लागू करने का ऐलान किया गया था।
पवन वर्मा ने इस बीच सीएम नीतीश से उनकी विचारधारा के बारे पूछ कर उनपर तंज भी कसा और कहा कि बताएं नीतीश कुमार किस विचारधारा पर पार्टी को चलाना चाहते हैं।
बता दें कि बिहार में पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाले नीतीश कुमार की पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा में नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया था, जिसके बाद नीतीश कुमार के करीबी और पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने खुल कर इसका विरोध किया था।
इसके बाद नीतीश कुमार ने मामले को संभालते हुए बिहार विधानसभा में कहा था कि फिलहाल इस कानून की जरूरत बिहार में नहीं है। लेकिन इसके बाद भी प्रशांत किशोर ने सीएए को लेकर बयानबाजी जारी रखी, जो नीतीश कुमार को रास नहीं आ रही थी।
एक दिन पहले ही जनता दल यूनाइटेड ने अपने बागी नेता पवन वर्मा और प्रशांत किशोर के खिलाफ एक्शन लेने के संकेत दिए थे। पटना में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा था कि ये दोनों नेता पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। उनकी बयानबाजी से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन दोनों नेताओं ने अपना अलग रास्ता बना लिया है। इसी वजह से पार्टी लाइन के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है।
जेडीयू द्वारा पवन वर्मा और प्रशांत किशोर पर कार्रवाई को दिल्ली चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि दिल्ली की 70 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जेडीयू के साथ गठबंधन किया है। यहां बीजेपी 68 और जेडीयू दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
सबसे दिलचस्प बात ये है कि जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर जो सीएए लागू होने के बाद से नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द बने हुए है वो दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। वहीं पवन वर्मा बिहार में बीजेपी के साथ जेडीयू के गठबंधन का विरोध करते रहे हैं और अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन का भी खुलकर विरोध कर रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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