जुबिली स्पेशल डेस्क
लोकसभा चुनाव में अब करीब-करीब तीन महीने का वक्त रह गया है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
बीजेपी अपनी रणनीति में लगातार बदलाव कर रही है और पुराने फॉर्मूले पर चुनाव लडऩे का मन बना चुकी है जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी भी लगातार रणनीति बना रहे हैं लेकिन इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ी चुनौती है सीट शेयरिंग।
बिहार को लेकर कांग्रेस ने एक अलग रणनीति बनायी है। कांग्रेस चाहती है कि पिछली बार की तरह आरजेडी 20 के बजाये एक दो सीट पर लचीला रुख अपनाए जबकि 16 सांसदों वाली जेडीयू भी थोड़ा एडजस्ट करे। 9 सीटों पर पिछली बार चुनाव लड़ चुकी कांग्रेस भी आरजेडी और जेडीयू की बात को मानने को तैयार है लेकिन वो सीट शेयरिंग पर थोड़ा एडजस्ट करने की बात भी कह रही है।
हालांकि जेडीयू कांग्रेस के इस फॉर्मूले को मानने से इनकार कर चुकी है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता के सी त्यागी ने साफ कर दिया कि 16 सीटिंग सीटों से कम लडऩा संभव नहीं है। के सी त्यागी ने कहा, हमारे इस लोकसभा में 16 सांसद हैं। परंपरा है और आम समिति भी बन रही है कि सीटिंग सांसद वाली सीट विजयी पार्टी के पास रहेगी। हमें उम्मीद है सभी नेता बैठेंगे और आम सहमति से बिहार में बात बनेगी।
इससे पहले लालू और नीतीश ने मिलकर बिहार में सीट शेयरिंग का फार्मूला निकाल लिया है। हालांकि अब ये देखना होगा कि कांग्रेस उसपर क्या प्रतिक्रिया देती है। सीट शेयरिंग के तहत नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू की पार्टी आरजेडी 17-17 सीटें पर चुनाव लड़ेंगी जबकि कांग्रेस को 4 सीटों देने का फैसला किया है।
बिहार से मिली जानकारी के अनुसार लालू और नीतीश ने कांग्रेस को सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के बारे में पूरी जानकारी दे दी है लेकिन ये पता नहीं चल सका है कि कांग्रेस ने इस पर क्या कहा है।
वहीं, सीट शेयरिंग के बाद 40 में से बचीं 2 लोकसभा सीटों को लेफ्ट को दिया गया है। वाम दल 2 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में इंडिया गठबंधन धीरे-धीरे सीट शेयरिंग के मामले को हल करने में लगा हुआ है।
वही यूपी में अखिलेश यादव ने पहले ही कांग्रेस को बता दिया है उन्हें कितनी सीट देने जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इन आठ सीटों में ज्यादातर शहरी सीटें हैं। सपा ने कांग्रेस को गठबंधन के लिए वाराणसी और लखनऊ जैसी 8 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए कहा है।
हालांकि कांग्रेस ने इस ऑफर पर कोई जवाब नहीं दिया है। बताया जा रहा है कि हाल के तीन राज्यों में कांग्रेस की हार इसका सबसे बड़ा कारण है। इस वजह से सपा से लेकर ममता की पार्टी कांग्रेस पर लगातार दबाव बना रही है।