Monday - 26 August 2024 - 11:47 PM

Janmashtami 2024 : कृष्ण की भक्ति में डूबा देश,इस शुभ मुहूर्त में करें कृष्ण जन्माष्टमी का पूजन

जुबिली स्पेशल डेस्क

आज पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। हर तरफ कान्हा की भक्ति में रंगे श्रद्धालु इस विशेष पर्व को मना रहे हैं।

चारों तरफ भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की धूम देखने को मिल रही है। मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। मंदिरों में कृष्ण लीला और भजन हो रहे हैं। रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के साथ ही सभी मंदिरों में भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना होगी।

भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि आज सुबह 3 बजकर 39 मिनट शुरू हो चुकी है और अष्टमी तिथि का समापन 27 अगस्त की मध्यरात्रि में 2 बजकर 19 मिनट पर होगा।

भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और इसलिए, कृष्ण जन्माष्टमी हमेशा रोहिणी नक्षत्र में ही मनाई जाती है. रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत आज दोपहर 3 बजकर 55 मिनट पर होगी और 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर होगा. साथ ही, 27 अगस्त की रात पूजन रात 12 बजे से देर रात 12 बजकर 44 मिनट पर होगा।

पूजा की विधि

पूजा करने से पहले स्नान करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है। सबसे पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं। स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं। ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो। इसके बाद उनका श्रृंगार करें। भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं।

इस तरह से करें श्रृंगार

श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का सबसे ज्यादा प्रयोग करें। इसके लिए पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा।

इस तरह से बनाये प्रसाद

जन्माष्टमी के प्रसाद में सबसे प्रमुख है पंचामृत। इस पंचामृत में तुलसी का उपयोग जरुर करें। मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं। कहीं-कहीं धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण को पूर्ण सात्विक भोजन अर्पित किए जाते हैं, जिसमें कई तरह के व्यंजन शामिल होते हैं।

इस तरह से करें मूर्ति का चुनाव

जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा-कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंसी वाले कृष्ण की मूर्ति स्थापना कर सकते हैं। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी की जा सकती है।

जन्माष्टमी का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। देश के सभी राज्यों इसे अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। साथ ही मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं।

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