जुबिली न्यूज़ डेस्क
इस बार जन्माष्टमी का त्योहार 11 और 12 अगस्त को मनाया जा रहा है। गृहस्थ और परिवारिक लोग मंगलवार यानी 11 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं जबकि वैष्णव, संत या संन्यासी बुधवार, 12 अगस्त को इसका व्रत रखेंगे। श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव, देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हर साल बड़ी धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी की तिथि: 11 अगस्त और 12 अगस्त।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2020 को सुबह 09 बजकर 06 मिनट से।
अष्टमी तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2020 को सुबह 05 बजकर 22 मिनट तक।
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 13 अगस्त 2020 की सुबह 03 बजकर 27 मिनट से।
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 14 अगस्त 2020 को सुबह 05 बजकर 22 मिनट तक।
पूजा की विधि
पूजा करने से पहले स्नान करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा का विधान है। सबसे पहले भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान जरूर करवाएं। स्नान के बाद भगवान को वस्त्र पहनाएं। ध्यान रहें कि वस्त्र नए हो। इसके बाद उनका श्रृंगार करें। भगवान को फिर भोग लगाएं और कृष्ण आरती गाएं।
इस तरह से करें श्रृंगार
श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का सबसे ज्यादा प्रयोग करें। इसके लिए पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा।
इस तरह से बनाये प्रसाद
जन्माष्टमी के प्रसाद में सबसे प्रमुख है पंचामृत। इस पंचामृत में तुलसी का उपयोग जरुर करें। मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं। कहीं-कहीं धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण को पूर्ण सात्विक भोजन अर्पित किए जाते हैं, जिसमें कई तरह के व्यंजन शामिल होते हैं।
इस तरह से करें मूर्ति का चुनाव
जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा-कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंसी वाले कृष्ण की मूर्ति स्थापना कर सकते हैं। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी की जा सकती है।
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। देश के सभी राज्यों इसे अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। साथ ही मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं।