जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। पूरे देश में इस वक्त दुर्गा पूजा की धूम है। अगर बात झारखंड के जमशेदपुर शहर की करे तो वहां पर भी दुर्गा पूजा को मनाने के लिए लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं लेकिन रात में अचानक एक खबर से पूरा शहर गम में डूब गया है और दुर्गा पूजा को लेकर उत्साहित बाजार में अचानक से मायूसी छा गई। इतना ही नहीं पूजा पंडालों में लाउड स्पीकर तक बंद कर दिए गए है।
अब सवाल है कि आखिर कौन सी खबर जमशेदपुर को मिली जिसके बाद पूरा शहर शोक में डूब गया। दरअसल पूरा शहर आज इसलिए शोक में डूबा है क्योंकि उसके बीच अब रतन टाटा नहीं रहे।
ये वहीं रतन टाटा थे जिन्होंने जमशेदपुर जैसे शहर को अपने कार्य से एक नई पहचान दी। ऐसे में लोकप्रिय उद्योगपति टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन के कारण पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गयी है।
बुधवार की रात जैसे ही लोगों ने ये पता चला कि रतन टाटा का निर्धन हो गया है, वैसे ही पूजा पंडालों में बज रहे गानों को बंद कर दिया गया।
120 साल पहले जब झारखंड अविभाजित बंगाल का हिस्सा होता था उस समय कालीमाटी नामक जगह पर जमशेदड्ड जी नसरवान ने आदिवासियों की बस्ती साकची में टाटा कंपनी की नींव रखी गई थी और टाटा समूह ने इस कालीमाटी में टिस्को की स्थापना करने को लेकर रणनीति बनाई।
टिस्को की स्थापना के साथ ही पूरे इलाके की शक्ल बदल गई। चौड़ी सडक़ें, पक्की नालियां, पार्क, हरियाली ने यहां पर सबकुछ स्थापित हुआ है पूरा शहर एक अलग पहचान के लिए जाना जाने लगा। पूरे शहर को आधुनिक बना दिया। इससे कई लोगों को रोजगार मिला। टाटा समूह ने सरकारी एजेंसियों से बढ़कर काम कर इस सिटी को अलग पहचान दी।
टाटा स्टील प्लांट के निर्माण हुआ और इसी दौरान इस शहर में टाटा ग्रुप ने टीएमएच की स्थापना है। शुरू में डिस्पेंसरी के तौर पर लोगों की सेवा करता था लेकिन बाद में इसे अस्पताल के तौर पर विकसित कर दिया गया।
अच्छी बात ये रही कि जब इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया।अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए टाटा की तरफ से एक्सएलआई स्थापना की गयी।साल 1946 में इसकी नींव रखी गयी और 1949 में यह बनकर तैयार हो गया। 1960 में टाटा समूह के प्रयासों से ही आरआईटी की स्थापना हुई जिसे बाद में सरकार ने एनआईटी का दर्जा दे दिया। आज वो शहर उनके जाने से शोक में डूब गया है।