न्यूज डेस्क
दिल्ली की एक अदालत ने आज दिल्ली पुलिस की जमकर खिचाई की। कोर्ट ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ
पुलिस द्वारा कोई सुबूत न दिखा पाने पर खिंचाई करते हुए कहा कि लोग सड़कों पर इसलिए हैं क्योंकि जो चीजें संसद के भीतर कही जानी चाहिए थी, वे नहीं कही गईं।
आजाद की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाऊ ने कहा कि दिल्ली पुलिस ऐसा बर्ताव कर रही है जैसे कि जामा मस्जिद पाकिस्तान में हैं। आगे उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है भी तो कोई भी व्यक्ति वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकता है। एक समय में पाकिस्तान अविभाजित भारत का हिस्सा था।
मालूम हो कि आजाद को पुरानी दिल्ली के दरियागंज में सीएए विरोधी प्रदर्शन से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी से उन सारे सबूतों को पेश करने को कहा जो दर्शाते हों कि आजाद जामा मस्जिद में सभा को कथित रूप से भड़काऊ भाषण दे रहे थे। जांच अधिकारी से ऐसा कानून भी बताने को कहा गया जिससे पता चले कि सभा असंवैधानिक थी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 जनवरी तय की है।
कोर्ट ने की दिल्ली पुलिस की खिंचाई
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि उसके पास सबूत के तौर पर बस सभा की ड्रोन तस्वीरें हैं, अन्य कोई रिकार्डिंग नहीं है। इस पर न्यायाधीश लाऊ ने कहा, ‘क्या आप सोचते हैं कि दिल्ली पुलिस इतनी पिछड़ी है कि उसके पास किसी चीज की रिकार्डिंग करने के यंत्र नहीं हैं?’
कोर्ट ने कहा कि मुझे कुछ ऐसी चीज या कानून दिखाइए जो ऐसी सभा को रोकता हो… हिंसा कहां हुई? कौन कहता है कि आप प्रदर्शन नहीं कर सकते… क्या आपने संविधान पढ़ा है। प्रदर्शन करना किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है।
यह भी पढ़ें :पुलवामा हमले के पीछे के असली गुनाहगार कौन?
यह भी पढ़ें :तेजी से गर्म हो रहे हैं महासागर
क्या गलत है प्रदर्शन करने में
दरियागंज में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन को लेकर अदालत ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद एक उभरते हुए नेता हैं। अगर वो प्रदर्शन कर रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है। मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि मैंने कई मामले ऐसे देखे हैं जिनमें लोग संसद के बाहर भी प्रदर्शन करते हैं।
गौरतलब है कि 20 दिसंबर को नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में दिल्ली के कई इलाकों में जोरदार प्रदर्शन हुआ था। दरियागंज में जामा मस्जिद के सामने और इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारी एक साथ जुटे थे। जामा मस्जिद के पास भी सीएए के विरोध में प्रदर्शन चल रहा था। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर वहां प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। इस दौरान वहां हिंसा भड़की, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और टैंकरों से पानी की बौछार की। पुलिस ने चंद्रशेखर को हिरासत में लेने की कोशिश भी की, लेकिन पहली बार में असफल रही।
चंद्रशेखर जामा मस्जिद के अंदर थे और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस बाहर इंतजार करती रही। समर्थकों से घिरा होने के कारण पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाई तो वह वहां से भाग निकले।
उस समय भीम आर्मी प्रमुख ने कहा था कि जब तक यह काला कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा। हालांकि दोपहर बाद से विरोध शांतिपूर्वक चल रहा है। प्रशासन के लोग दिन में जामा मस्जिद में घुसे और वहां मौजूद लोगों पर लाठीचार्ज किया। इसके बाद चंद्रशेखर आजाद को पुलिस ने देर रात जामा मस्जिद से हिरासत में ले लिया था।
यह भी पढ़ें : भ्रष्टाचार की पींगें बढ़ाता मुफ्तखोरी का रिवाज